इसलिए उन्नीसवाँ रोजा अल्लाह की मुसलसल (लगातार) याद है और रोजादार के लिए दुआ की मुकम्मल (पूर्ण) फरियाद है।
22.
सर पॉल मैककार्टनी को चौदहवाँ, सर एल्टन जॉन को सोलहवाँ और ‘हैरी पॉटर' की लेखिका जेके रॉलिंग को उन्नीसवाँ स्थान मिला है.
23.
उत्तर-कुवैत वह राज्य है जो अगस्त 1990 से फरवरी 1991 के मध्य लुप्त हुआ था और इराक का उन्नीसवाँ प्रान्त बना था।
24.
वर्ष ‘स ' का उन्नीसवाँ रविवार 11 अगस्त, 2013 प्रज्ञा ग्रंथ 11, 6-9इब्रानियों के नाम, 11, 1-2,8-19संत लूकस 12, 32-48जस्टिन तिर्की, ये.स.दीपक का जवाबमित्रो, आज मैं आपलोगों को एक घटना के बारे में बताता हूँ जो एक स्कूल में घटी।
25.
1 संविधान (उन्नीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1966 की धारा 2 द्वारा '' जिसके अंतर्गत संसद के और राज्य के विधान-मंडलों के निर्वाचनों से उद् भूत या संसक्त संदेहों और विवाद के निर्णय के लिए निर्वाचन न्यायाधिकरण की नियुक्ति भी है '' शब्दों का लोप किया गया।
26.
उपदेश देते हुए भगवान् बुद्ध ने प्रति वर्ष जहाँ वर्षावास व्यतीत किया उन स्थानों की सूची बौद्ध परंपरा में रक्षित है और इस प्रकार है-पहला वर्षावास वाराणसी में, दूसरा-चौथा राजगृह में, पाँचवाँ वैशाली में, छठा मंकुल गिरि में, सातवाँ तावतिंरा (त्रयस्तिं्रश) लोक में, आठवाँ सुंसुमार गिरि के निकट भर्ग प्रदेश में, नवाँ कौशांबी में, दसवां पारिलेय्यक वन में, ग्यारहवाँ नालाग्राम में, बारहवाँ वेरंज में, तेरहवाँ चालियगिरि में, चौदहवाँ श्रावस्ती में, पंद्रहवाँ कपिलवस्तु में, सोलहवाँ आलवी में, सत्रहवाँ राजगृह में, अठारहवाँ चालियगिरि में, उन्नीसवाँ राजगृह में, इसके अनंतर श्रावस्ती में।
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पूरी पट्टी में कौन है उनके मुकाबले में भगवती महाकाली का जागरण रचाने वाला? लेकिन नैना सूबेदार का ध्यान तो ' कन्या-कन्या ' सुनते ही इस तरफ चला गया, तो फिर लौटना मुश्किल हो गया कि आज तो उन्नीसवाँ दिवस, उन्होंने तो घर पहुँचने के पहले ही दिन मजाक-मजाक में सूबेदारनी के पाँव ही पकड़ लिए थे कि-' भगवती, कन्या ही देना ' हाँ, तरंग तो कुछ तब भी जरूर रही होगी लेकिन दृष्य भी उत्पन्न तभी होता है, जबकि भीतर कोलाहल हो।
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पूरी पट्टी में कौन है उनके मुकाबले में भगवती महाकाली का जागरण रचाने वाला? लेकिन नैना सूबेदार का ध्यान तो ' कन्या-कन्या ' सुनते ही इस तरफ चला गया, तो फिर लौटना मुश्किल हो गया कि आज तो उन्नीसवाँ दिवस, उन्होंने तो घर पहुँचने के पहले ही दिन मजाक-मजाक में सूबेदारनी के पाँव ही पकड़ लिए थे कि-' भगवती, कन्या ही देना ' हाँ, तरंग तो कुछ तब भी जरूर रही होगी लेकिन दृष्य भी उत्पन्न तभी होता है, जबकि भीतर कोलाहल हो।