उदाहरणत: मनुष्यों को विशेष उष्मामापी में रखकर जब यह नापा गया कि शरीर में कितनी गर्मी उत्पन्न होती है और हिसाब लगाया गया कि आहार का जितना अंश पचता है उतने को जलाने से कितनी गरमी उत्पन्न हो सकती थी और जब इसपर भी ध्यान रखा गया कि पसीना सूखने में कितनी ठंडक उत्पन्न हुई होगी, तब स्पष्ट पता चला कि शरीर की सारी ऊर्जा (गर्मी और काम करने की शक्ति) आमाशय और आंत्र में आहार के पाचन तथा उपचयन (ऑक्सिटाइज़ेशन) से उत्पन्न होती है;
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उदाहरणत: मनुष्यों को विशेष उष्मामापी में रखकर जब यह नापा गया कि शरीर में कितनी गर्मी उत्पन्न होती है और हिसाब लगाया गया कि आहार का जितना अंश पचता है उतने को जलाने से कितनी गरमी उत्पन्न हो सकती थी और जब इसपर भी ध्यान रखा गया कि पसीना सूखने में कितनी ठंडक उत्पन्न हुई होगी, तब स्पष्ट पता चला कि शरीर की सारी ऊर्जा (गर्मी और काम करने की शक्ति) आमाशय और आंत्र में आहार के पाचन तथा उपचयन (ऑक्सिटाइज़ेशन) से उत्पन्न होती है;