वेद में भी इस का उल्लेख हैः पिता दुहितुर्गर्भंमाधात्-अथर्व 9, 10,12 अर्थात पिता ने बेटी में गर्भ धारण किया? मातुर्दिधिषुमब्रवं स्वसुर्जारः श्रृणोतु नः भातेंद्रस्य सखा मम.-ऋग्वेद 6,55,5 अर्थात मैं मां के उपपति को कहता हूं.
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उपपत्नी का संबंध चाहे जितने दीर्घकाल तक क्यों न रहा हो उसे अपने उपपति से पोषण पाने का कोई अधिकार नहीं है किंतु यदि वह मृत्यु पर्यंत उपपति के साथ धर्मपूर्वक रही हो तो उसे अपने उपपति की संपत्ति द्वारा पोषण पाने का अधिकार है।
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उपपत्नी का संबंध चाहे जितने दीर्घकाल तक क्यों न रहा हो उसे अपने उपपति से पोषण पाने का कोई अधिकार नहीं है किंतु यदि वह मृत्यु पर्यंत उपपति के साथ धर्मपूर्वक रही हो तो उसे अपने उपपति की संपत्ति द्वारा पोषण पाने का अधिकार है।
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उपपत्नी का संबंध चाहे जितने दीर्घकाल तक क्यों न रहा हो उसे अपने उपपति से पोषण पाने का कोई अधिकार नहीं है किंतु यदि वह मृत्यु पर्यंत उपपति के साथ धर्मपूर्वक रही हो तो उसे अपने उपपति की संपत्ति द्वारा पोषण पाने का अधिकार है।
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उपपत्नी का संबंध चाहे जितने दीर्घकाल तक क्यों न रहा हो उसे अपने उपपति से पोषण पाने का कोई अधिकार नहीं है किंतु यदि वह मृत्यु पर्यंत उपपति के साथ धर्मपूर्वक रही हो तो उसे अपने उपपति की संपत्ति द्वारा पोषण पाने का अधिकार है।
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उपपत्नी का संबंध चाहे जितने दीर्घकाल तक क्यों न रहा हो उसे अपने उपपति से पोषण पाने का कोई अधिकार नहीं है किंतु यदि वह मृत्यु पर्यंत उपपति के साथ धर्मपूर्वक रही हो तो उसे अपने उपपति की संपत्ति द्वारा पोषण पाने का अधिकार है।
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उपपत्नी का संबंध चाहे जितने दीर्घकाल तक क्यों न रहा हो उसे अपने उपपति से पोषण पाने का कोई अधिकार नहीं है किंतु यदि वह मृत्यु पर्यंत उपपति के साथ धर्मपूर्वक रही हो तो उसे अपने उपपति की संपत्ति द्वारा पोषण पाने का अधिकार है।