एक रूपवती और निपुण स्त्री के साथ महिमा मंगोल का अलाउद्दीन के दरबार से भागना, अलाउद्दीन का उसे हम्मीर से वापस माँगना, हम्मीर का उसे अपनी शरण में लेने के कारण उपेक्षापूर्वक इनकार करना, ये सब बातें जोधाराज क्या उसके पूर्ववर्ती अपभ्रंश कवियों की ही कल्पना है, जो वीरगाथाकाल की रूढ़ि के अनुसार की गई थी।
22.
दिनांक 4. 4.2007 को यह दुर्घटना समय करीब 10.00 बजे दिन, खानापुर रोड पर स्थित यादव बस्ती के पास, अंतर्गत थाना हण्डिया, जिला इलाहाबाद में यह दुर्घटना उस समय घटित हुई जब वह उक्त ट्रक के आगे अवरोधक को हटा रहा था, तभी उक्त वाहन का चालक ट्रक को बहुत ही लापरवाहीपूर्वक एवं उपेक्षापूर्वक चलाते हुए उसे टक्कर मार दिया, जिसके फलस्वरूप यह दुर्घटना घटित हुई।
23.
दान नहीं करेंगे तो परलोक में नहीं मिलेगा-इस भय से देना चाहिए अथवा भगवान् ने मुझे देने योग्य बनाया है, पर दूसरों को न देने पर भगवान् को क्या मुंह दिखाऊंगा-इस भय से देना चाहिए (भिया देयम्), प्रमाद से, भय से या उपेक्षापूर्वक न देकर ज्ञान पूर्वक, विधिपूर्वक, आदरपूर्वक एवं उदारता पूर्वक निःस्वार्थ भाव से देना चाहिए।
24.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बी. एस. ई. एस. राजधानी पावर लिमिटेड बनाम शिवीलाल के निर्णय दिनांक 20. 10. 0 8 में कहा है कि एक व्यक्ति को मिथ्या शपथ के लिए दोष सिद्ध नहीं किया जा सकता कि उसने उतावलेपन से या उपेक्षापूर्वक या तर्कसंगत पूछताछ के बिना तथ्य जिनका कि वह सही होना कहता है कहा यह साबित करना आवश्यक है कि उसने ऐसा कथन किया जिसे कि वह गलत होना जानता था या जिसके सही होने का विश्वास नहीं था।
25.
आवेदन में दुर्घटना से संबंधित तथ्य इसप्रकार है कि दिनांक 13 नवम्बर 2005 को दोपहर लगभग 2. 20 बजे आवेदक न्यू कैम्पियन स्कूल में डायविटीज कैम्प को अटैण्ड कर अपना कैमरा लेकर न्यू कैम्पियन स्कूल से बाहर निकल रहा था कि तभी अनावेदक क्र. 1 अपनी मोटर साईकिल क्रं. एम. पी.-12-ई-8300 को मनीषा मार्केट शाहपुरा की तरफ से काफी तेजी एवं लापरवाही व उपेक्षापूर्वक चलाकर लाया और आवेदक को जोरदार टक्कर मार दी जिससे आवेदक रोड पर गिर गया और दुर्घटना में आयी चोटों के कारण आवेदक स्थायी रूप से निषक्त हो गया।
26.
दूसरा छोटा-दुबला वाला मेरी मेज पे था, उसने सारी पुस्तकों को तितर बितर किया, मंजन-ब्रश और मोर्टिन को फेंका, दर्पण को भी उठाया मुझे लगा ‘ जैसाकि बंदरों के बारे में कहा जाता है ' कि अब इसकी रुचि की वस्तु इसे मिल चुकी है और मुझे एक नया दर्पण लाना ही होगा किन्तु उसने उसे उपेक्षापूर्वक एक ओर डाल दिया, शायद बंदर ये समझ चुके हैं कि उनका चेहरा भले ही मनुष्य जैसा सुन्दर न हो किन्तु उन्हें इसकी आवश्यकता भी नहीं क्योंकि उनके पास मनुष्यों से सुन्दर स्वच्छ हृदय है।