अब पहली गाँठ को अपने हाथों की उँगलियों के बीच में रखिये, ऊपर दिया हुआ मंत्र एक बार बोलिए और फिर इस गाँठ पर मुंह से फूँक मारिये ।
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ऊपर दिया हुआ कोड कैलेंडर को शनिवार को शुरू करेगा, महीनों के नाम लंबे (long) रूप में शीर्षक के तौर पर लिखेगा तथा दिनों के नाम संक्षिप्त (short) रूप में लिखेगा.
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बहरहाल, ऊपर दिया हुआ मेरा प्रश्न भले ही भाजपा वालों से हो, लेकिन “सेकुलर”(?) लोग चाहें तो इसका जवाब दे सकते हैं कि-कल्पना करो, कश्मीर से भगाये गये लोग पण्डितों की बजाय मुस्लिम होते… तब समस्या की, उस पर उठाये गये कदमों की और राजनीतिबाजों की क्या स्थिति होती?
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अगर आश्रम में जाना संभव है तो वहाँ के वड़-दादा को प्रदक्षिणा करें, वड़-दादा की मिट्टी कुमकुम में मिलाकर उत्तर दिशा में मुख तिलक करें और ऊपर दिया हुआ मंत्र बोलें कुछ ही दिनों में आपको लाभ होगा, बेटी की शादी होनी है तो हो जायेगी, परिवार में कोई अनबन है, चिड़चिड़ापन है तो शांति आ जायेगी
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बहरहाल, ऊपर दिया हुआ मेरा प्रश्न भले ही भाजपा वालों से हो, लेकिन “ सेकुलर ” (?) लोग चाहें तो इसका जवाब दे सकते हैं कि-कल्पना करो, कश्मीर से भगाये गये लोग पण्डितों की बजाय मुस्लिम होते … तब समस्या की, उस पर उठाये गये कदमों की और राजनीतिबाजों की क्या स्थिति होती?
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Http: //ajit09.blogspot.com/2011/06/blog-post_28.html?showComment=1309335824743#c4148955042312043455 प्रतुल जी नमस्ते देर से जवाब इस लिये दे रही हूँ ताकि ज्यादा तलख होकर ना कहूँ ज़रा ऊपर दिया हुआ लिंक देखे याद करे उन बहसों को, उन अपशब्दों को {छुपाए हुए तन्चो को} जो महज मुझे इस लिये मिलाए क्युकी मेने नारी ब्लॉग के जरिये वो सब “ बड़ी शालीनता और सद्भाव ” से कहना चाहा जो आज सब “ ढोल ” बजा कर कह रहे हैं जब एक लड़की जो 23 साल की थी इस दुनिया से अपने अधुरे सपनो के साथ इस समाज का शिकार हो चुकी हैं.