फिल्म से जुड़े सूत्र ने बताया, ऊरू ने जब गैरी के एजेंट के माध्यम से बातचीत कर संपर्क किया और उन्हें रामायण के बारे में बताया तो वह उत्साहित हो गए, क्योंकि उन्हें रामायण के बारे में जानकारी है।
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ऊरू तदस्य यद्वैश्य: पद्भयां शूद्रो अजायत॥ (ऋग्वेद क् 0.90. क्ख्) इस श्लोक का अनुवाद एचएच विल्सन ने पुरुष का मुख ब्राह्मण बना, बाहु क्षत्रिय एवं जंघा वैश्य बना एवं चरण से शूद्रो की उत्पत्ती हुई किया है।
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मंत्र है-यत् पुरूषं व्यवर्धु: कति धा व्यकल्पन् मुखं किमस्य कौ बाहु का ऊरू पादा उच्यते? 10-8-11 तब ऋग्वेद का ऋषि उत्तार देता है-ब्राह्मणोस्य मुखमासीद् बाहू राजन्य: कृत: उरू तदस्य यद्वैश्य पद्मयां शूद्रो अजायत्।
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न्यूनतम प्रकुंचन मान का कच्चा आकलन बिना किसी उपस्कर के ही स्पर्श-परीक्षण पद्धति द्वारा किया जा सकता है, अधिकांशतः आपात्कालीन स्थितियों में इसका उपयोग किया जाता है.बहिःप्रकोष्ठिक नब्ज़ का स्पर्श परीक्षण न्यूनतम 80 mmHg रक्त चाप को, ऊरू नब्ज़ कम से कम 70 mmHg और ग्रीवा नब्ज़ न्यूनतम 60 mmHg की ओर इंगित करते हैं.
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दूसरा शब्द है “ ऊरू ” अर्थात town or city | मंगल-ऊरू, बंगल-ऊरू आदि इसी सिलसिले के नाम हैं | तो नाम “ बेंगलोर ” से बंगलूरु नहीं हुआ है, बल्कि इसके उलट बंगलूरु इसका मूल नाम था-जो अंग्रजों की कृपा से बेंगलोर हो गया था | ऐसा ही कुछ चेन्नई आदि के साथ भी हो शायद?
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तभी भगवान शंकर के तेज से उस देवी का मुख मण्डल प्रकट हुआ यमराज के तेज से देवी के बाल प्रकट हुए भगवान विष्णु के तेज से देवी की भुजाएं प्रकट हुई चन्द्रमा के तेज से देवी के दोनों स्तन उत्पन्न हुए इन्द्र के तेज से उसका कटि और उदर प्रदेश प्रकट हुआ वरूण के तेज से देवी की जंघायें तथा ऊरू स्थल प्रकट हुए।
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मुखं किमस्य कौ बाहू का ऊरू पादा उच्येते॥ (ऋग्वेद क् 0.90. क्क्) अर्थात बलि देने के लिए पुरुष को कितने भागो मे विभाजित किया गया? उनके मुख को क्या कहा गया, उनके बांह को क्या और इसी तरह उनकी जंघा और पैर को क्या कहा गया? इस श्लोक का अनुवाद राल्फ टी. एच. ग्रिफिथ ने भी कमो-बेश यही किया है।