आजकल अधिकतर इलेक्ट्रान नलियों ऋणाग्र किरण (कैथोड रे) नलियों तथा गैस नलियों में आक्साइड लेपित उत्सर्जक ही प्रयोग में लाए जाते हैं।
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इस कारण यह बेलनाकार सतह ऋणाग्र के विभव पर होती है और पट्टिक से उत्सर्जित इलेक्ट्रानों को पीछे की ओर फेंक देती है।
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जैसा ताँबे के विद्युद्विश्लेषिक निर्धारण के अंतर्गत वणित है, सेल के ऋणाग्र प्लैटिनम गाँज पर इस विलयन का सारा निकल संचित होता है।
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जैसा ताँबे के विद्युद्विश्लेषिक निर्धारण के अंतर्गत वणित है, सेल के ऋणाग्र प्लैटिनम गाँज पर इस विलयन का सारा निकल संचित होता है।
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यह संतृप्ति अंतरण आवेश (स्पेस चार्ज) के कारण हो जाती है, जो भटके हुए इलेक्ट्रानों के कारण ऋणाग्र के निकट प्रकट हो जाता है।
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जैसा ताँबे के विद्युद्विश्लेषिक निर्धारण के अंतर्गत वणित है, सेल के ऋणाग्र प्लैटिनम गाँज पर इस विलयन का सारा निकल संचित होता है।
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ऋणाग्र किरण नलिका (अंग्रेज़ी:कैथोड रे ट्यूब, लघुरूप:सी.आर.टी.) एक निर्वात नलिका होती है, जिसमें एक इलेक्ट्रॉन बंदूक (ऋणवेशिक स्रोत) और एक प्रदीप्त पटल होता है।
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यदि पट्टिका को ऋणाग्र की अपेक्षा धन विभव पर रखा जाय तो, जैसा ऊपर लिखा जा चुका है, इलेक्ट्रान धारा प्रवाहित हो जाती है।
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ऋणाग्र किरण नलिका (अंग्रेज़ी:कैथोड रे ट्यूब, लघुरूप:सी.आर.टी.) एक निर्वात नलिका होती है, जिसमें एक विद्युदणु बंदूक(इलेक्ट्रॉन गन) (ऋणवेशिक स्रोत) और एक प्रदीप्त पटल होता है।
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तथापि ऐसी भी बहुध्रुवी नलियाँ हैं जिनमें केवल एक ही ऋणाग्र तथा केवल एक ही धनाग्र रहता है, परंतु ग्रिड तीन से अधिक रहते हैं।