किंतु ये किरणें जस्ते में प्रतिदीप्ति नहीं पैदा कर सकती क्योंकि इसकी अवशोषणसीमा 1. 28 एंग्स्ट्रॉम पर पड़ती है।
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पारे को उत्तेजित करने से जो हरे रंग की किरणें निकलती हैं उनका तरंगदैर्घ्य 5461 एंग्स्ट्रॉम होता है।
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किंतु ये किरणें जस्ते में प्रतिदीप्ति नहीं पैदा कर सकती क्योंकि इसकी अवशोषणसीमा 1. 28 एंग्स्ट्रॉम पर पड़ती है।
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वर्ग बी-इसमें लगभग 20, 000 एंग्स्ट्रॉम ताप के श्वेत तारे है जिनके स्पेक्ट्रम में प्रबल हाइड्रोजन रेखाएँ होती हैं।
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वर्ग एफ-इसमें वे तारे हैं जिनका ताप लगभग 7, 500 एंग्स्ट्रॉम है और जिनके स्पेक्ट्रम में प्रबल एच (
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वर्ग बी-इसमें लगभग 20, 000 एंग्स्ट्रॉम ताप के श्वेत तारे है जिनके स्पेक्ट्रम में प्रबल हाइड्रोजन रेखाएँ होती हैं।
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वर्ग शून्य-इसमें 30, 000 एंग्स्ट्रॉम से अधिक प्रभावी तापवाले नीलेश्वेत तारे हैं जिनके स्पेक्ट्रम में चमकीले बैंड पाए जाते हैं।
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इससे प्रतिदीप्ति पाने के लिए कोबाल्ट (Co) टार्जेंट से प्राप्त एक्स-किरणें, जिनका तरंगदैर्ध्य 1.61 एंग्स्ट्रॉम है, प्रयोग में लाई जाती हैं।
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वर्ग शून्य-इसमें 30, 000 एंग्स्ट्रॉम से अधिक प्रभावी तापवाले नीलेश्वेत तारे हैं जिनके स्पेक्ट्रम में चमकीले बैंड पाए जाते हैं।
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500 एंग्स्ट्रॉम पर के कुछ ऊष्ण तारों के स्पेक्ट्रम में होनेवाली असंतता और महादानवी (Super giant) तारों के संतत स्पेक्ट्रमों को अभी भी पूर्ण रूप से समझा नहीं जा सकता है।