योग के सन्दर्भ में ध्येय विषय ईश्वर है, अतः ईश्वर के बारे में बार-बार सोचने पर मन का ईश्वर में ही एकतार चलना, अन्य कोई भी विचार मन में उत्पन्न नहीं होना ही ध्यान है.
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यद्यपि रंगों के प्रयोग में गहराई-उभार या छाया का प्रयोग नहीं है, साथ ही रंग एकतार भी हैं, किन्तु रंगों का अभाव इस तरह हुआ है किप्रत्येक वस्तु स्पष्ट हो जाती है और उनका सौन्दर्य भी क्षीण नहीं होता.
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क्योंकि सभी मार्गों का सार ईश्वर का सदा स्मरण करते रहना है और यह नियम है कि जिस-जिस वास्तु का बारम्बार स्मरण किया जाता है उसमें मन एकतार चलता ही है और उसी-उसी वास्तु का अनुभव होता ही है.
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का.: सखी बसंत का ठंढा पवन और सरद की चांदनी से राम राम करके वियोगियों के प्राण बच भी सकते हैं, पर इन काली काली घटा और पुरवैया के झोंवे तथा पानी के एकतार झमाके से तो कोई भी न बचेगा।
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प्रश्न है-अनबोला क्या? अनबोलता कौन? वैसे तो संपूर्ण संग्रह में एकतार व्याप्त स्व की तलाश इसे स्पष्ट कर देती है किंतु दबे हुए अस्तित्व से साक्षात्कार का प्रयास करती हुई कविता ‘ तो ' आधुनिक मानव के एकाकीपन, अजनबीपन और आत्मविस्मृति के विरूद्ध ‘ बोलने ' का प्रयास है-कुछ तो बतियाओ कि वह निहायत अबोला न रह जाये।