यह सन-१ ९ ५ ८ की बात है, मैं उस वक़्त बहुत छोटा सा था इसलिए दोपहर की बरामदा-महिला परिषद में मुझे एक एडवान्टेज मिलता था, ` इतना छोटा बच्चा, महिलाओं की निजी बातों को क्या समझेंगा? ` ऐसा मानकर मेरी उपस्थिति का कोई महिला कभी विरोध नहीं करती थीं ।
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एक अंग्रेज लेखक एम्. मकोलिफ ने अपनी पुस्तक ' ए लेक्चर ऑन द सिख रिलीजन एंड इट्स एडवान्टेज टू द स्टेट ' में लिखा है “ पूर्व जनगणना के समय ग्रामीण सिख अपनी अज्ञानता के चलते स्वयं को सामान्यतयः हिन्दू के रूप में प्रदर्शित करते थे और वास्तव में वे हिन्दू ही थे. समय के साथ-साथ प्राप्त अनुभवों के कारण धीरे-धीर हिन्दू-सिख के बीच एक सीमा रेखा तैयार होती चली गयी. ”