परदे के पीछे से एनाउन्सर की आवाज़ और वाक्योँ मेँ साहित्यिक पुट तथा बातसे असर पैदा करने का सलीका था सुननेवालोँ पर १ मानो प्रोग्राम की बागडोर उस आवाज़ से बँधी थी! मालूम हुआ कि ऐसे प्रोग्राम का सँचालन कर रहे थे नरेन्द्र जी अपने विशेष रोचक अन्दाज मेँ! जब “ कल्चरल स्क्वाड ” पर उस समय की सरकार ने पाबँदी ला दी थी तो उसकी जगह इप्टा ने ले ली! इप्टा और उसकी सरगर्मियोँ और कामयाबियोँ से थियेटर की दुनिया खूब वाकिफ थी.