और 22 मई को गिरफ्तार मजदूरों की ज़मानत की दरखास्त को ख़ारिज करते हुए उच्च न्याय्लायाय के फैसले की समानता अत्यंत ही आपत्तिजनक है, जहाँ न्यायालय का फैसला कहता है कि “विदेशी निवेशक औद्योगिक अशांति के डर से भारत में निवेश नहीं करना चाहेंगे”| हम सबसे अपील करते हैं की इस बात के प्रति सतर्क रहें कि सरकार की न्याय देने वाली संस्थाएं इस अत्यंत ही शोषणकारी कम्पनी के झूठे प्रचार और पैसे के बल से प्रभावित ना हों|