सिफिलिस रोग में अन्य औषधि प्रयोग करने के साथ रोग में जल्दी लाभ के लिए बीच-बीच में इस औषधि का प्रयोग किया जाता है।
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लेकिन यदि आपकी निष्ठा और समर्पण दृढ है तब सिद्धयोग किसी पश्चिमी / लौकिक औषधि प्रयोग से अधिक तीव्रता तथा दृढता से कार्य करता है।
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आंखों के ऊपरी पलकों के पक्षाघात में जेल्स, स्पाइजि, बेल, स्ट्रैगो आदि औषधियों में से कोई एक औषधि प्रयोग किया सकता है।
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वात रोग से सम्बन्धित लक्षण:-जोड़ों और पुट्ठों दोनों प्रकार के वात रोगों को ठीक करने के लिए लैक्टुका एसिडम औषधि प्रयोग करते हैं।
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बच्चों के पक्षाघात में फास्फो, आर्स, बैराइटा, कैल्के-कार्ब आदि औषधियों में से कोई भी औषधि प्रयोग करना रोग के लिए लाभकारी होता है।
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माचिस बनाने वाले व्यक्तियों को होने वाली टी. बी. खास करके हडि्डयों की टी. बी. में फास्फोरस औषधि प्रयोग में लाई जाती है।
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हालांकि, औषधि प्रयोग को दिशा निर्देशों में शामिल किया गया है, लेकिन देखा गया है कि पूर्णहृदरोध के बाद ये अस्पताल मुक्ति के मामले में सुधार नहीं दिखाते हैं.
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प्लीहा रोग जिसमें सुई की चुभन जैसा दर्द होने तथा प्लीहा का बढ़ना आदि लक्षणों से ग्रस्त रोगी को ठीक करने के लिए बेलिस पेरेनिस औषधि प्रयोग करना चाहिए।
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हालांकि, औषधि प्रयोग को दिशा निर्देशों में शामिल किया गया है, लेकिन देखा गया है कि पूर्णहृदरोध के बाद ये अस्पताल मुक्ति के मामले में सुधार नहीं दिखाते हैं.
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आमाशय से सम्बंधित लक्षण-रोगी का जी मिचलाना, बार-बार डकारें आना, कंपकंपी होना, आंतों का अतिसार आदि लक्षणों में ओरियोडाफनी औषधि प्रयोग करने से लाभ मिलता है।