उसके चारों ओर अन्त: और बाह्य संघर्ष का कँटीला जाल घिरा है, जो सारी उन्मुक्तता को तिरोहित और घायल कर देता है-poem > था मन मेरा।
22.
[वि.] 1. जिसमें बहुत सी घनी डालियाँ लगती हों घना ; सघन 2. काँटेदार ; कँटीला 3. जिसपर झाड़ों (पेड़-पौधों) की आकृतियाँ बनी हों।
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एक आन्तरिक खोखलापन, जिसके कारण मैं तैरता गया हूँ, डूबा नहीं! क्या इसी सम्बल के सहारे जीवन का युद्ध लड़ा जाता है, क्या यही है वह पाथेय, जिससे कर्म का कँटीला पथ-
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झाड़ीदार (हिं. + फ़ा.) [वि.] 1. झाड़ीयुक्त 2. आकार रूप आदि में छोटे झाड़ की तरह 3. कँटीला ; काँटेदार 4. (स्थान) जहाँ झाड़ियाँ अधिक हों।
25.
रामेश्वर देहरी के ठीक सामने बैठा था ; शेखर ने उसे क्षण भर पहले देखा ; किन्तु क्षण ही भर में रामेश्वर के चेहरे का बन्द झिलमिल का-सा भाव प्रतिकूलता से कँटीला हो आया ; घनी और पहले ही मिली हुई भवें सेहुँड़ के झाड़-सी उलझ गयीं-
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] 1. एक कँटीला पौधा जिसकी पत्तियाँ बबूल की तरह होती हैं और स्पर्श करने पर मुरझा जाती हैं ; लाजवंती या छुईमुई नामक संवेदनशील पौधा ; लज्जावती 2. {ला-अ.} कोमल या नाज़ुक मिज़ाज का व्यक्ति ; कोई कमज़ोर वस्तु या व्यक्ति।
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आदिम जाति कल्याम विभाग के छतरपुर हॉस्टल में सेवारत कन्नू कोंदर की पत्नी से साक्षात्कार करने पर कोंदरों के परम्परित जेवरों में केवल टोड़र, पैजना, करधौनी, बहुँटा, चंदौली, कँटीला गजरा, मुँदरी, छला, कन्नफूल, पुँगारिया, खँगौंरिया और टकार तथा पुरुषों के घुँघरु आभूषणों के नाम मिले, जो उसने अपनी पिछली पीढ़ी, में प्रचलित देखे थे ।
28.
मोर पंखी आँख में दुबका हुआ शिशु सा तुम्हारा प्यार कुछ ऐसा हठीला हो गया है दृष्टि का आँचल पकड़कर मचलता है बून्द बन कर उछलता है फर्श गीला हो गया है तर्क से कटता कहाँ बस, झेलता है दूब के मानिन्द दिन दिन फैलता है कुछ गँठीला कुछ कँटीला हो गया प्यार कुछ ऐसा हठीला हो गया है।
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और प्रेम वह तो तपते मरु का हरियर कँटीला कैक्टस बूढ़े बरगद के आगे क्यों झुकना, क्यों नत होना पीपल के सामने देवताओं, क्षमा करना मैंने शीश नवाया नन्हे कैक्टस के समक्ष उसकी जड़ें धरती में गहरे धँसी थीं वहाँ तक, जहाँ तक पहुँचती है पानी की आखिरी बूँद आखिर, थोड़ी सी नमी की खातिर चुकाई थी उसने सबसे बड़ी कीमत ।
30.
माँ, इस घर में भी है पर, उसमें ममता की कमी है ममत्व के छाँह की कमी से उसके आँखों में नमी है स्नेह पगे मन को पल-पल रोना पडता है प्रशंसा के बदले यहाँ कँटीला ताना मिलता है पिता का वात्सल्य नही बर्फ की कठोरता मिलती है पति का साथ नही गम बेशुमार मिलता है बहन का प्यार नही अवहेलनाओं की बौछार मिलती है भाई कालाड नही साजिशों की भरमार होती है दम घुटता रहता तितली का दुखों की बरसात होती है।