कामदगिरि जहाँ भगवान राम ने विश्राम किया, जानकी कंड जहाँ जग जननी सीता मंदाकिनी में नित्य स्नान पूजा करती थीं, स्फटिक शिला जहाँ मंदाकिनी के किनारे एक विशाल शिला पर बैठे राम ने जयंत पर बाण चलाया था, यहीं स्थित हैं।
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भारत के समाज ने जल को इंच या सेंटीमीटर में नहीं अंगुलों या बित्तों में भी नहीं, बूँदों में मापा और बादल की एक-एक बूँद को टाँकों, कंड कंडियों, बेरियों, जोहड़ों, तालाबों, बावड़ियों और कुएँ, कुँइयों और पार में भरकर उड़ने वाले समुद्र को, अखंड हाकड़ो को खण्ड-खण्ड नीचे उतार लिया।
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मंदिर की देखभाल करने वाले बाबूराम चतुर्वेदी ने बताया कि दुर्गा सप्तशती के मूर्ति रहस्य कंड में रक्तदंतिका देवी की वंदना के तीन श्लोक हैं, जिनमें देवी के स्वरूप का वर्णन करते हुए लिखा गया है कि उनके नेत्र, केश, दंत, वस्त्र, आभूषण सभी रक्तिम हैं।
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८९% अंक ही क्यों मिले मैने करगिल की विजय देखी है और कंधार कंड की त्रासदी झेली है मैने डाकुओं को सांसद बनते देखा है, तो एक प्रोफेसर व वैज्ञानिक को देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होते देखा है मैने गानों को छांट-छांट कर उनके केसेट भरवाये हैं, और पसंदीदा गाने
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गोबहर = गौ गीत की बहर = अर्थात गाय अपने श्रोताओं / लाभार्थियों के लिए चलते फिरते छंद रचती है = छंद यानि उर्जा से भरे हुए खंड = कंड / कंडे जोकि खंड का अपभ्रंस है = उपले अर्थात उपलय! अतएव कंड / खंड / छंद / उपलय इस बात के प्रमाण हैं कि गोबर शब्द गोबहर से उपजा हो सकता है!
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गोबहर = गौ गीत की बहर = अर्थात गाय अपने श्रोताओं / लाभार्थियों के लिए चलते फिरते छंद रचती है = छंद यानि उर्जा से भरे हुए खंड = कंड / कंडे जोकि खंड का अपभ्रंस है = उपले अर्थात उपलय! अतएव कंड / खंड / छंद / उपलय इस बात के प्रमाण हैं कि गोबर शब्द गोबहर से उपजा हो सकता है!
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गोबहर = गौ गीत की बहर = अर्थात गाय अपने श्रोताओं / लाभार्थियों के लिए चलते फिरते छंद रचती है = छंद यानि उर्जा से भरे हुए खंड = कंड / कंडे जोकि खंड का अपभ्रंस है = उपले अर्थात उपलय! अतएव कंड / खंड / छंद / उपलय इस बात के प्रमाण हैं कि गोबर शब्द गोबहर से उपजा हो सकता है!
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गोबहर = गौ गीत की बहर = अर्थात गाय अपने श्रोताओं / लाभार्थियों के लिए चलते फिरते छंद रचती है = छंद यानि उर्जा से भरे हुए खंड = कंड / कंडे जोकि खंड का अपभ्रंस है = उपले अर्थात उपलय! अतएव कंड / खंड / छंद / उपलय इस बात के प्रमाण हैं कि गोबर शब्द गोबहर से उपजा हो सकता है!
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वाणी के चार रूप होते हैं-परा यानि जिसे आकाश व्यापी ब्रह वाणी जो केवल सिद्ध संत महात्मा सुनते हैं, पश्यन्ति यानि नाभी चक्र में धड़कने वाला शब्द जो आज्ञा चक्र पर आत्मा की शक्ति से सुना जाता है और देखा भी जाता है, मध्यमा यानि हृदय क्षेत्र में स्पंदित शब्द और बैखरी यानि कंड से निकलने वाली वाणी जिसके सहारे में हम सब बोलते हैं।
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बाकी सब बढिया है लेकिन ये बात समझ से उपर है मतलब आप यहा ५ / ७ साल के बच्चो की गलती मान रहे है...?आपके अनुसार ये ब्च्चे अगर योन शिक्षा पाये होते तो नही मरते...?आपके लेख से यही समझ मे आ रहा है,निठारी कंड के अपराधियो को बचाने मे सरकार और जो वकील लगे है उन्हे भेज दिजीये अपना ये फ़लसफ़ा,आप काफ़ी समाज की मदद कर पायेगे..?साधुवाद आपको...