कंडेंसर द्वारा अस्वीकृत पानी के ताप के उपयोग का कोई बेहतर और कार्यक्षम रास्ता निकल सके तो कूलिंग टावर्स पर कम भार पड़ेगा, जिससे तापीय प्रदूषण भी कम होगा।
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अत: इस पहलू को ताप बिजलीघरों में इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे कंडेंसर द्वारा अस्वीकृत पानी को ठंडा करने और मीठे पानी के उत्पादन का दोहरा लाभ उठाया जा सकता है।
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-कार के अंदर धूल न इकट्ठा होने दें। अगर ऐसा होगा तो एसी का ब्लोअर अंदर से धूल भी खींच लेगा तो एसी की कॉइल और कंडेंसर पर जमा हो जाएगी, जिससे कूलिंग में दिक्कत आएगी।
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-कार के अंदर धूल न इकट्ठा होने दें। अगर ऐसा होगा तो एसी का ब्लोअर अंदर से धूल भी खींच लेगा तो एसी की कॉइल और कंडेंसर पर जमा हो जाएगी, जिससे कूलिंग में दिक्कत आएगी।
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इस पानी के कारण प्रचालन संबंधी बहुत सी समस्याएं जैसे कंडेंसर ट्यूबों का अच्छी तरह से काम न करना और उनका क्षरण, डीएम जल की कमजोर गुणवत्ता, बॉयलर ट्यूब लीकेज में वृद्धि आदि पैदा हो जाती हैं।
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चूंकि अधिकाश बिजलीघर 8 से 10 डिग्री सेल्सियस पर कंडेंसर अस्वीकृत पानी सतही तापमान पर समुद्री जल में छोड़ते हैं, उपलब्ध तापमान अंतर में कोई भी वृध्दि अथवा बिजली घरों से अतिरिक्त वाष्प का प्रावधान एलटीटीडी की कार्यक्षमता को बढा देगा, जिसका नतीजा यह होगा कि अधिक मीठा पानी उत्पादित होगा।
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द्वारका-नॉएडा सिटी सेंटर ब्लू लाइन पर चलने वाली रेलों के ३ ५ ० कोच के एसी बदले जा चुके हैं और दिलशाद गार्डन-रिठाला रेड लाइन की रेलों के १ ०० कोचों के एसी बदले जा चुके हैं | ऐसा इसलिए हो रहा है कि यमुना से निकलने वाली जहरीली गैसों से एसी के कंडेंसर पर जमी कोटिंग हट जाती है और गैस लीक होने लगता है |