इसके बाद स्त्री को अपने शरीर पर सूखा घर्षण करना चाहिए तथा कटिस्नान करना चाहिए फिर इसके बाद स्त्री को अपने कमर पर गीली पट्टी लपेटनी चाहिए और स्त्री को खाली पेट रहना चाहिए।
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यदि रोगी स्त्री का मासिकस्राव आना बंद हो गया हो तो रोगी स्त्री को सुबह के समय में गर्म पानी से कटिस्नान करना चाहिए तथा रात को सोते समय एक बार फिर से कटिस्नान करना चाहिए।
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यदि रोगी स्त्री का मासिकस्राव आना बंद हो गया हो तो रोगी स्त्री को सुबह के समय में गर्म पानी से कटिस्नान करना चाहिए तथा रात को सोते समय एक बार फिर से कटिस्नान करना चाहिए।
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यदि किसी व्यक्ति को बहुत समय से कब्ज हो तो उसे सुबह तथा शाम को कटिस्नान करना चाहिए और सोते समय पेट पर गर्म सिंकाई करनी चाहिए और प्रतिदिन कम से कम 6 गिलास पानी पीना चाहिए।
25.
13. स्त्री के बांझपन के रोग को ठीक करने के लिए उसके पेड़ू पर मिट्टी की गीली पट्टी करनी चाहिए तथा इसके बाद उसे कटिस्नान कराना चाहिए और कुछ दिनों तक उसे कटि लपेट देना चहिए।
26.
कब्ज रोग से पीड़ित गर्भवती स्त्री को कटिस्नान करना चाहिए तथा इसके बाद एनिमा क्रिया करनी चाहिए और इसके बाद प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करना चाहिए जिसके फलस्वरूप कुछ ही दिनों में यह रोग ठीक हो जाता है।
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१०) थायराईड रोगों को ठीक करने के लिए रोगी व्यक्ति को अपने पेट पर मिट्टी की गीली पट्टी करनी चाहिए तथा इसके बाद एनिमा क्रिया करके अपने पेट को साफ करना चाहिए और इसके बाद कटिस्नान करना चाहिए।
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इसके बाद रोगी व्यक्ति को दिन में कम से कम दो बार ठंडे पानी से कटिस्नान 20 मिनट तक करना चाहिए और तीसरी बार सोने से पहले आधे घण्टे तक गुनगुने पानी का 15 मिनट तक कटिस्नान करना चाहिए।
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इसके बाद रोगी व्यक्ति को दिन में कम से कम दो बार ठंडे पानी से कटिस्नान 20 मिनट तक करना चाहिए और तीसरी बार सोने से पहले आधे घण्टे तक गुनगुने पानी का 15 मिनट तक कटिस्नान करना चाहिए।
30.
दृष्टिदोष रोग से पीड़ित रोगी को कुछ दिनों तक एनिमा लेना चाहिए तथा जलनेति, सूत्रनेति, पेट पर मिट्टी की पट्टी, कुंजल, कटिस्नान, मेहनस्नान, रीढ़स्नान, भस्त्रिका प्राणायाम तथा प्राणमुद्रा की क्रिया करनी चाहिए।