| 21. | करने को ग्रस्त समस्त व्योम कपि बढ़ा अटल,
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| 22. | करने को ग्रस्त समस्त व्योम कपि बढ़ा अटल,
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| 23. | धँस गया धरा में कपि गह युगपद, मसक दण्ड
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| 24. | एक ही कपि ने इतना विनाश कर
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| 25. | जहँ तहँ लागे खान फल भालु बिपुल कपि बीर।।35।।
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| 26. | कपि या वानर प्राणीजगत में होमिनोइडेया (
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| 27. | अट्टहास करि गरजा कपि आगि बढ़ी लगी आका श.
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| 28. | को नहिं जानत है जग में कपि संकटमोचन नाम
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| 29. | राक्षस विरुद्ध प्रत्यूह क्रुद्ध कपि विषम हूह
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| 30. | जस-जस सुरसा बदन बढ़ावा।तासु दून कपि रूप दिखावा।।
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