| 21. | उन्होंने उनके मस्तक पर फण फैलाकर कमठ के उपसर्ग से उनकी रक्षा की।
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| 22. | उन्होंने उनके मस्तक पर फण फैलाकर कमठ के उपसर्ग से उनकी रक्षा की।
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| 23. | उन्होंने उनके मस्तक पर फण फैलाकर कमठ के उपसर्ग से उनकी रक्षा की।
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| 24. | पार्श्वकुमार नगर भ्रमण करते हुए पंचाग्नि तप कर रहे कमठ के समीप पहुँचे।
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| 25. | उसी समय कमठ का जीव शंबरनाम का असुर आकाश मार्ग से जा रहा था।
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| 26. | कमठ पिट्ठ टरपरिअ, मेरु मंदर सिर कंपिअ कोहे चलिअ हम्मीर बीर गअजुह संजुत्तो।
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| 27. | कमठ का जीव यहाँ भी तापस बन नगर में कठोर तप कर रहा था।
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| 28. | उसके बाद वही कमठ का जीव विभिन्न योनियों में जन्म लेकर उनके साथ अपना
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| 29. | उसी समय कमठ का जीव शंबर नाम का असुर आकाश मार्ग से जा रहा था।
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| 30. | भगवान पार्श्वनाथ ने कमठ के साथ दश-दश जन्मों तक अपराध के बदले क्षमाभाव का व्यवहार किया।
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