कहानी का मुख्य पात्र दानिश अपनी कम-उम्र पत्नी आमना को लेकर इतना मजबूर और असुरक्षित हो जाता है कि वह उसे कैद करके रखने में ही अपने प्यार की सार्थकता ढूंढ़ने लगता है.
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जब कई बकरियाँ भाग निकलीं तो अब्बू खाँ ने सोचा कि यदि उन्होंने एक कम-उम्र बकरी ली और उसे पहले से ही अच्छे चारे-दाने की आदत डाल दी तो वह पहाड़ का रुख न करेगी।
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बहुत जल्द वह गुत्थी मेरे हाथ लग गई जो उसके पाँव तले की जमीन को इस कदर पोला किए दे रही थी: उसके चेंबर से एक कम-उम्र और यकीनन खूबसूरत हसीना के साथ उसकी रंगीनी पर मुहर लगाती खतो-किताबत और चंद तस्वीरें।
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इन अवसरों पर और कार्यक्रमों के साथ उनका कम-से-कम एक स्थायी कार्यक्रम होता था-किसी पार्क में पहुँचना, किसी पेड़ के नीचे बेंच पर बैठना, लैया-चना चबाना, रंगीन फूलों और लड़कियों को ध्यानपूर्वक देखना और किसी कम-उम्र छोकरे से सिर पर तेल मालिश कराना।
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इन अवसरों पर और कार्यक्रमों के साथ उनका कम-से-कम एक स्थायी कार्यक्रम होता था-किसी पार्क में पहुँचना, किसी पेड़ के नीचे बेंच पर बैठना, लैया-चना चबाना, रंगीन फूलों और लड़कियों को ध्यानपूर्वक देखना और किसी कम-उम्र छोकरे से सिर पर तेल मालिश कराना।
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सबके पहले इस लड़की ने, जिसके साथ बड़ी रानी ने लड़के का निकाह तजवीजा था, राहत हुसैन के माथे पर हाथ रख कर, झुक के पूछा-मेरे प् यारे भाई, कैसे हो? यह कमसिन, बहुत ही कम-उम्र, हसीना, कुँआरी लड़की अगर किसी और नौजवान मर्द के माथे पर अपना मेहँदी से रचा हुआ हाथ रख कर इस मोहब् बत से पूछती, तो वह समझता कि कारूँ का खजाना मुझे मिल गया, मगर यह तो और ही फिराक में था।