कर्णमूल, जिह्वाघर तथा अधोहनु ग्रंथियाँ लालारस बनाती हैं, जिसका मुख्य काम कार्बोहाइड्रेट को पचाकर ग्लूकोज़ या डेक्सट्रोज़ बनाना है।
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कर्णमूल, जिह्वाघर तथा अधोहनु ग्रंथियाँ लालारस बनाती हैं, जिसका मुख्य काम कार्बोहाइड्रेट को पचाकर ग्लूकोज़ या डेक्सट्रोज़ बनाना है।
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कर्ण के पीछे की ओर निचले भाग में जो अस्थि होती है उसमें शोथ और उससे विद्रधि बनने को कर्णमूल शोथ कहते हैं।
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कर्ण के पीछे की ओर निचले भाग में जो अस्थि होती है उसमें शोथ और उससे विद्रधि बनने को कर्णमूल शोथ कहते हैं।
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कर्णमूल या पैरोटिड ग्रंथियां (Parotid glands)-हर कान के अंदरूनी भाग में नीचे की ओर एक-एक ग्रंथि मौजूद होती है।
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तक जाती दीख रही है, जो उरोस्थि ओर जत्रु के पास के भाग से उदय होकर, ऊपर जाकर, कर्णमूल पर लग जाती है।
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एक पहले माउस अवअधोहनुज ग्रंथि से शुद्ध न्यून-आणविक-भार वाला पॉलीपेप्टाइड है, लेकिन बाद में जो अवअधोहुनज ग्रंथि, कर्णमूल ग्रंथि सहित कई मानव ऊतकों में पाया गया.
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EGF एक पहले माउस अवअधोहनुज ग्रंथि से शुद्ध न्यून-आणविक-भार वाला पॉलीपेप्टाइड है, लेकिन बाद में जो अवअधोहुनज ग्रंथि, कर्णमूल ग्रंथि सहित कई मानव ऊतकों में पाया गया.
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पश्च त्रिकोण का शिखर ऊपर कर्णमूल के नीचे और आधार नीचे जत्रुक पर है तथा अंत: भजा उर कर्णमूलिका की बहि:धरा और बहि: या पार्श्व भुजा (
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अगर इस रोग की समय पर चिकित्सा न कराई जाए तो यह सांस की नली की सूजन, प्लुरिसी, कर्णमूल प्रदाह आदि रोग पैदा हो सकते हैं।