| 21. | हमारा अधिकार केवल कर्म पर ही है-‘ कर्मणि एव अधिकरस्ते ' ।
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| 22. | उदाहरण पर भी वही आपत्ति हो सकती है जो ' कर्मणि कुशल:' के संबंध में की गई
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| 23. | कर्मणि प्रयोग-जब क्रिया कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुरूप हो तो वह ‘
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| 24. | 2. कर्मणि प्रयोग-जब क्रिया कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुरूप हो तो वह कर्मणि प्रयोग कहलाता है।
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| 25. | ताुत्कम् कर्मणि घोरे मां नियोजयसि केशवः-फिर युद्ध जैसे घोर कर्म में आप मुझे क्यों नियोजित कर रहे हैं?
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| 26. | अध्याय 12 2. कर्मणि प्रयोग-जब क्रिया कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुरूप हो तो वह ‘कर्मणि प्रयोग' कहलाता है।
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| 27. | असल में गीता का श्लोक “ कर्मणि + अधिकार + असते मा फलेषु कदाचन ” का गलत अर्थ निकाल जाता है.
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| 28. | इसमें पाणिनि महर्षिजी के ‘ तस्यभावस्त्वतलौ ' (5 । 1 । 119) गुणवचनब्राह्मणादिभ्य: कर्मणि च ' (5 ।
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| 29. | पित्रये कर्मणि तु प्राप्ते परीक्षेत प्रयत्नत: ॥ 149 ॥ चिकित्सकान्देवलकान् मांसविक्रयिणस्तथा॥ 152 ॥ भृतकाधयापको यश्च भृतकाध्यायपितस्तथा॥ 156 ॥ कुशीलवऽवकीर्णो च वृषलीपतिरेवच।
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| 30. | इनमें क्रिया का रूप कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुरूप बदला है, अतः यहाँ ‘ कर्मणि प्रयोग ' है।
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