कर्महीनता और बढ़ गयी, और हिंदू समाज को लोकतंत्र मैं रहने के कोइ लाभ नहीं मिल पा रहा है | गरीबी और बढ़ गयी |
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उत्साह तो कम होगा ही आज न कल पर आई पी एल बुखार से राष्ट्र कर्महीनता रुपी बीमारी से जरूर दम तोड़ देगा ….
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इस आई पी एल के कारन मेरा रोज झगडा हो रहा है आज कल … कर्महीनता सच में विचारनिए मुद्दा है … शुभकामनायें ….
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ये उन्शहीदों और सच्चे देशभक्त लोगों की शहादत का मज़ाक है, और हम सभी उसे समझ कर भी कर्महीनता के कारण चुप बैठे है.
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परन्तु जब हिंदू समाज कर्महीनता की हद छु रहा है, तब आवश्यक हो जाता है कि हर प्रश्न का सही उत्तर समाज के पास हो |
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जिसे बदला नहीं जा सकता, उसपर रो रो के एक सुन्दर सम्भावी भविष्य की परिकल्पना को भी कर्महीनता के कारण नष्ट कर रहे हैं..
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और जिन गतिविधियों को आप कर्महीनता या अकर्मण्यता मान बैठे हैं, दरअसल वो सब विकसित सभ्यताओं के विलास हैं, जो अविकिसित मनव को किंकर्तव्यविमूढ़ ही करेंगे।
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आलसीपन या कर्महीनता में डूबे व्यक्ति को समय का मोल समझाने व जीवन को सफल बनाने के लिए संत कबीरदास ने बहुत ही सीधी नसीहत देकर चेताया है।
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कृप्या इतनी कर्महीनता भी मत दिखाईये कि इन प्रश्नों, और समस्याओं की चर्चा आप अपने समाज मैं नहीं कर पाएं, और जन चेतना के बारे मैं भी न सोंच पायें!
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दरिद्रता में दु: ख न सह सके-अगर कर्महीनता या वक्त की मार से भी दरिद्रता या अभाव देखना पड़े तो उसे पूरी सहनशीलता और सकारात्मक सोच से स्वीकार करना चाहिए।