जल प्रकृति की सबसे मधुर वस्तु है, न केवल प्राणदायी, अपितु अपनी शीतलता और मर्र-मर्र, कल-कल ध्वनि से तन, मन को प्राणवान बना देता है।
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नदियों की कल-कल ध्वनि, पक्षियों के कलरव, सागर की तरंगों और वायु के शीतल झोकों से उपजने वाला नाद हमारे संगीत का आधार बना।
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समुद्री लहरों की कल-कल ध्वनि, नजदीक ही कुछ जापानी पर्यटकों की डिस्को पार्टी, समुद्र में कोलंबो का प्रतिबिंब इस शाम को यादगार बना रहा था।
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कहां है गंगा के प्रवाह की कल-कल ध्वनि? कहां हैं गंगा की उत्ताल तरंगे, इठलाती-बलखातीं लहरें और गंगा के पारदर्शी जल में गोते लगाते जलीय जीवों-मछलियों के नृत्य?
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गंगा के निर्मल जल की कल-कल ध्वनि से मुग्ध कर देने वाला संगीत पैदा होता ह ै, जो यहाँ आने वाले हर व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करता है।
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गंगा के निर्मल जल की कल-कल ध्वनि से मुग्ध कर देने वाला संगीत पैदा होता है, जो यहाँ आने वाले हर व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करता है।
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बारिश के बाद नहाये हुए बच्चों की तरह लगने वाले पहाड़ खून पसीना एक कर बहाये हैं निर्मल पवित्र नदियाँ जिनकी कल-कल ध्वनि की सुर ताल से झंकृत है भू-लोक, स्वर्ग एक साथ।
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कहते हैं कि नारद जी ने वाल्मीकि से कहा था-‘ जब तक इस पृथ्वी पर पर्वत सिर उठाए खड़े रहेंगे, कल-कल ध्वनि करती नदियाँ बहती रहेंगी, ‘ रामायण ' नामक ग्रन्थ मनुष्यों द्वारा श्रद्धापूर्वक पढ़ा जाएगा।
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संभव हो तो यह जलधारा समतल न होकर ऊपर-नीचे ढलान वाली हो ताकि पानी जब ऊपर-नीचे होकर हल्के-हल्के झरने बनाकर बहे तो उसमें पानी के बहने की कल-कल ध्वनि अवश्य आती रहे, जो कानों को प्रिय तो लगेगी ही, साथ ही अत्यंत आकर्षक दृश्य की संयोजना भी हो सकती है।
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लाती सम्मुख जीवन के जब परिवर्तन की नाव तृष्णा के वंध्या आँचल में मृगमरीचिका का विस्तार जहाँ मचलती थी हरियाली आज पड़ा है वहॉ झुलसता अंगारों-सा रेत अम्बार मृग-शावक आते होंगे कल-कल ध्वनि से हो आकर्षित लगती होंगी जहाँ सभाएँ वन्य जन्तुओं की प्रत्याशित पर अब सब गायब हैं जल जीवन की खोज में वयोवृध्दा सी लगतीं वादियाँ कभी जो दिखती होंगी यौवन भरी शरारत सी।