संवेदना, देहरादून की विशेष चर्चा गोष्ठी में, जो सामयिक प्रकाशन से प्रकाशित हुई कथाकार कुसुम संग्रह की कहानियों की पुस्तक पर आयोजित थी, कथाकार सुभाष पंत का यह वक्तव्य उन सवालों का जवाब था जिनमें कुसुम भट्ट की कहानियों पर यह सवाल ज्यादातर उठ रहा था कि उनकी कहानियों के शीर्षक उनकी कहानियों के कथ्य से मेल खाते हुए नहीं हैं।