मणि शंकर अय्यर की साफगोई के लिए उनकी तारीफ होनी चाहिए, क्योंकि सरकार की मजबूरियों के बीच उन्होंने कहा कि हम सबको लाचार फ़िलिस्तीनियों को आज़ादी और न्याय दिलाने के लिए क़दम से क़दम मिलाकर उनका समर्थन करना चाहिए.
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मंगलवार को मिच हुल ने कहा कि जिस प्रकार हम रूस के साथ साथ क़दम से क़दम मिलाकर चल रहे हैं उसी प्रकार ईरान के साथ भी खड़े हैं और दूसरे अनेक देशों के प्रयासों का भी भरपूर समर्थन करते हैं।
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सीरिया के टीवी नें इस विषय में एक रिपोर्ट में कहा है कि सऊदी अरब, अमरीका से क़दम से क़दम मिलाकर आतंकवाद के वहाबी अड्डों में तकफ़ीरी आतंकवादियों को ट्रेनिंग देते हुए उन्हें आतंकवादी कार्यवाहियों के लिये प्रयोग कर रहा है।
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अभी तो शुरूआत है लेकिन आने वाले ‘ सम्मान समारोहों ‘ में हिंदी ब्लॉगर्स के लिए ‘ चीयर लीडर्स ‘ की तर्ज़ पर कुछ ‘ चीयर ब्लॉगर्स ‘ का भी इंतज़ाम कर लिया जाए तो हिंदी ब्लॉगिंग समय के साथ क़दम मिलाकर चलने लगेगी।
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मुंबई जैसे महानगर, जिसे भारत की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है और जहाँ पर आज लड़कियाँ भी लड़कों के साथ क़दम से क़दम मिलाकर काम कर रही हैं, ऐसे में मुंबई में हुई ये घटना बताती है कि लड़कियों के लिए कुछ मुट्ठी भर लोगो कीं सोच आज भी क्या है.
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मुंबई जैसे महानगर, जिसे भारत की आर्थिक राजधानी भी कहा जाता है और जहाँ पर आज लड़कियाँ भी लड़कों के साथ क़दम से क़दम मिलाकर काम कर रही हैं, ऐसे में मुंबई में हुई ये घटना बताती है कि लड़कियों के लिए कुछ मुट्ठी भर लोगो कीं सोच आज भी क्या है.
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ऐसे दौर में जब पेड न्यूज़, ब्लैकमेलिंग, पूंजीपतियों की छवि चमकाना, उनके हितों के लिये लॉबिंग करना, राजनीतिक पार्टियों के हितों के लिये काम करना, नीरा राडिया के साथ क़दम से क़दम मिलाकर काम करने वाले मीडिया के इस दौर में क्या पत्रकारिता है और क्या नहीं है यह तय करना इतना आसान नहीं है ओम थानवी जी।
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किस क़द्र ताज्जुबख़ेज़ है जमाने का यह हाल के मेरा मुक़ाबला ऐसे अफराद से होता है जो कभी मेरे साथ क़दम मिलाकर नहीं चले और न इस दीन में उनका कोई कारनामा है जो मुझसे मवाज़ना किया जा सके मगर यह के कोई मुद्दई किसी ऐसे ‘ ारफ़ का दावा करे जिसको न मैं जानता हूँ या ‘‘‘ ाायद ‘‘ ख़ुदा ही जानता है (यानी कुछ हो तो वह जाने) मगर हर हाल में ख़ुदा का ‘ ाुक्र है।
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क्या इसे समझ कर हम खुद को संभालना चाहेंगे? अगर समझना और संभलना चाहें तो हमें अपने ही देश के एक छोटे-से नए राज्य छत्तीसगढ़ की ओर देखना चाहिए, जहाँ सूबे के मुख्यमंत्री डॉ. रमनसिंह के एक आव्हान पर अपनी नदियों और अपने तालाबों को बचाने के लिए जनता एक होकर आगे आती है और जहाँ मुख्यमंत्री खुद हज़ारों मेहनतकश किसानों, मजदूरों और आम नागरिकों के साथ इस पुनीत कार्य में कंधे से कन्धा और क़दम से क़दम मिलाकर जुट जाते हैं और.