द्वितीय विश्वयुद्ध में मैदानी मोर्चाबंदी का क्रम इस प्रकार होता था: रक्षार्थ एक स्थान चुना जाता था, खाइयाँ तथा शरणस्थान बनाए जाते थे, फिर सुरंगें लगाकर तथा काँटेदार तार खींचकर शत्रु का मार्ग अवरुद्ध किया जाता था।
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द्वितीय विश्वयुद्ध में मैदानी मोर्चाबंदी का क्रम इस प्रकार होता था: रक्षार्थ एक स्थान चुना जाता था, खाइयाँ तथा शरणस्थान बनाए जाते थे, फिर सुरंगें लगाकर तथा काँटेदार तार खींचकर शत्रु का मार्ग अवरुद्ध किया जाता था।
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पाँड़ेपुर से बड़ी भयप्रद सूचनाएँ आ रही थीं, आज कमिश्नर आ गया, आज गोरखों का रेजिमेंट आ पहुँचा, आज गोरखों ने मकानों को गिराना शुरू किया, और लोगों के रोकने पर उन्हें पीटा, आज पुलिस ने सेवकों को गिरफ्तार करना शुरू किया, दस सेवक पकड़ लिए गए, आज बीस पकड़े गए, आज हुक्म दिया गया है कि सड़क से सूरदास की झोंपड़ी तक काँटेदार तार लगा दिया जाए, कोई वहाँ जा ही नहीं सकता।