यहां सुबह “ काकड आरती से लेकर मध्यरात्रि की शय्या तक अखण्ड रुप से पूजा अर्चना की जाती है.
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काकड लग्गा चुपडा, भनोली तहसील में भारत के उत्तराखण्ड राज्य के अन्तर्गत कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा जिले का एक गाँव है।
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दिल्ली में पहली बार षिर्डी र्साइं धाम महाराष्ट्र की तर्ज आधारित इस समारोह का आरंभ सुबह की काकड आरती से शुरू होकर रात्रि की आरती शेजारती के साथ संपन्न हुआ।
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बाघ और बारहसिंघा के अतिरिक्त यहां भालू, जंगली कुत्ते, काला हिरण, चीतल, काकड, नीलगाय, गौर, चौसिंगा, जंगली बिल्ली और सूअर भी पाये जाते हैं।
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साई बाबा संस्थान द्वारा लिए गए निर्णय कि काकड आरती के लिए पांच सौ रूपए तो धूप आरती के लिए ढाई सौ रूपए वसूले जाएंगे, साई भक्तों को जम नहीं रहा है।
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मंदिर में प्रत्येक दिवस, सुबह का आरंभ प्रातः ६.३० बजे काकड आरती के साथ होता है और मंदिर के कपाट रात्रि में १० बजे की आरती के उपरांत बंद कर दिए जाते हैं।
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वन भैसे के अतिरिक्त इस अभयारण्य में शेर, तेन्दुआ, गौर, नीलगाय, चितल, साभंर, काकड, लोमडी, भालू, खरगोश, जंगली सुअर आदि वन्य प्राणी एवं विभिन्न प्रकार के पक्षी भी पाये जाते हैं।
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साथ कहा कि श्री साईं का गुणगान प्रातः सवा चार बजे काकड आरती से आरंभ होकर श्री साईं मंगल स्नान पांच बजे, हवन साढे सात बजे, मघ्यान्ह आरती दोपहर बारह बजे, धूपारती सायः छः बजे, रात साढे दस बजे शेजारती आरती और अंत में समापन आरती शिर्डी मांझे पण्ढरपुर के साथ समारोह सम्पन्न हुआ।