इसमें मूल कागज पत्र बहुत नहीं हैं, परन्तु स्वयं श्री कृष्णविट्ठल आठले द्वारा देवनागरी लिपि में की गई सारी प्रतिलिपियाँ ही हैं, जिनके मूल पत्रों आदि के बारे में अब कोई जानकारी उपलब्ध नहीं हैं ।
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अब मशहूर आदमी ठंडे हुए और बोले-‘‘ हो सकता है उन लोगों से कोई कागज पत्र पढ़ने में गलती हुई हो, पर तुमने छह महीने का ब्याज नहीं दिया है वह तो तय हुआ था कि हर महीने दोगे।
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मै जब भी कोई सीडी, डी वी डी अपने लेपटाप मे डालता हुं, चलती नही, दस बार डालने के बाद चलती है, बच्चो ने भी ट्राई किया नही चली, तो मेने कम्पनी को फ़ोन किया, उन्होने मुझे सारे कागज पत्र मेल से भेज दिये, ओर दुसरे
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मै जब भी कोई सीडी, डी वी डी अपने लेपटाप मे डालता हुं, चलती नही, दस बार डालने के बाद चलती है, बच्चो ने भी ट्राई किया नही चली, तो मेने कम्पनी को फ़ोन किया, उन्होने मुझे सारे कागज पत्र मेल से भेज दिये, ओर दुसरे...
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भईया हम तो आंखे बन्द्कर के आप की बात मानेगे, वेसे भी हम कोन सा नापने जा रहे है, दो चार किलोमीटर कम ज्यादा भी हुआ तो हमे क्या, ओर कागज पत्र लेकर हिसाब लगाये? अजी इतना ही दिमाग होता तो हमीं ना यह पोस्ट लिख देते:)
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सम्पूर्ण नन्द कागज पत्र (१९३६-३७), जयकर कागज पत्र (१९३७-३९) औरआन्धप्रदेश (१९४०-४१), बिहार (१९४३-४४), पश्चिम बंगाल (१९४२-४४) गुजरात (१९३७-४७) और पंजाब (१९३७-४५) के राजाय अभिलेखागार सम्मलित थे: इनकेअतिरिक्त राज्य अभिलेखागारों में आन्ध्र प्रदेश (१९३७-३९), बिहार (१९३ (, तमिलनाडु (१९३८-३९), पश्चिम बंगाल (१९३८-४०), पंजाब (१९३७, १९३९, १९४४-४६), राज्यस्थान (१९३७-४७) और बंगाल सचिवालय (१९३७-३९), विदेश कार्यविभाग (१९४०) और लिनलीया संग्रह (माइक्रोफिल्मों) (१९३८), उडीसा (१९३७-४७), तमिलनाडु (१९३८-३९) और दिल्ली (१९४२) के राज्य/संघ शासितक्षेत्रो के अभिलेखागार विभागों से प्राप्त ५, २२४ पृष्ठो के उद्धरणभारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान, नई दिल्ली परिषद् को सम्पादन के लिए भेजे गएधी.
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सम्पूर्ण नन्द कागज पत्र (१९३६-३७), जयकर कागज पत्र (१९३७-३९) औरआन्धप्रदेश (१९४०-४१), बिहार (१९४३-४४), पश्चिम बंगाल (१९४२-४४) गुजरात (१९३७-४७) और पंजाब (१९३७-४५) के राजाय अभिलेखागार सम्मलित थे: इनकेअतिरिक्त राज्य अभिलेखागारों में आन्ध्र प्रदेश (१९३७-३९), बिहार (१९३ (, तमिलनाडु (१९३८-३९), पश्चिम बंगाल (१९३८-४०), पंजाब (१९३७, १९३९, १९४४-४६), राज्यस्थान (१९३७-४७) और बंगाल सचिवालय (१९३७-३९), विदेश कार्यविभाग (१९४०) और लिनलीया संग्रह (माइक्रोफिल्मों) (१९३८), उडीसा (१९३७-४७), तमिलनाडु (१९३८-३९) और दिल्ली (१९४२) के राज्य/संघ शासितक्षेत्रो के अभिलेखागार विभागों से प्राप्त ५, २२४ पृष्ठो के उद्धरणभारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान, नई दिल्ली परिषद् को सम्पादन के लिए भेजे गएधी.
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(ग) राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा 3 (3) के अंतर्गत निर्दिष्ट सभी दस्तावेजों (संकल्प, सामान्य निर्देश, अधिसूचनाएँ, प्रशासनिक तथा अन्य रिपोर्ट और प्रेस विज्ञप्तियाँ तथा संसद के सदनों के समक्ष प्रस्तुत की जाने वाली प्रशासनिक तथा अन्य रिपोर्ट तथा सरकारी कागज पत्र आदि) में हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं का प्रयोग किया जायेगा और ऐसे दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्ति की यह जिम्मेदारी होगी कि वह सुनिश्चित करे कि ये सभी दस्तावेज हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में जारी हों।