जुसेप्पे ने दुर्गापुर के रास्तें में खरीदी होगी तो मैंने देखी नहीं थी, अभी देखा कि वह डिब्बी खोल, उसमें कानी उंगली बोर, नाक में ‘ नसनी ' सूंघ एक बार फिर अस्तित्ववादी रहस्यवाद के हवाले हो गया, फुसफुसाकर मुझसे बोला, ‘ व्हाई कांट यू सी कि यही जैज़ है जिसे हर वक़्त तुम अपने दिमाग़ में बजता सुनते हो? हेडेन का व्योला, डिज़ी का ट्रंपेट, ड्यूक का पियानो, सब यहीं है, यू जस्टु हैव टू फ़ील इट! '