महाराजा समरसिंह के मैदान में आने से पहले लोग समझते थे कि धर्मनिरपेक्षता का अर्थ शाासन का किसी भी पंथ विशेष से असंबद्ध रहते हुये सरकारी कामकाज का संचालन होता है किंतु उन्होंने इस भ्रम को तोड़ते हुये हमें बताया कि धर्मनिरपेक्षता का मतलब होता है कि बहुसंख्यकों के हिंसक संगठनों से आतंकित अल्पसंख्यकों के वोटों को गैर राजनीतिक आधार पर अपनी झोली में समेट लेने की कूटनीति और फिर उन्हें उन्हीं बहुसंख्यकों की पार्टी को बेच देना।
22.
उनके मुताबिक ‘‘एक ऐसे वक्त में जब राज्य अपने पारम्पारिक कर्तव्यों से विमुख हो रहा है और कार्पोरेशन्स एवं एनजीओ सरकारी कामकाज का संचालन करने लगे है (पानी की आपूर्ति, बिजली, परिवहन, दूरसंचार, खदानें, स्वास्थ्य, शिक्षा) ; एक ऐसे वक्त में जब कार्पोरेट मिल्कियतवाली मीडिया जो लोगों के कल्पनाजगत/तसव्वुर को भी नियंत्रित करने की स्थिति में दिखती है कोई यह सोच सकता है कि ऐसी संस्थाएं-कार्पोरेशन्स, मीडिया और एनजीओ को-लोकपाल बिल के दायरे में लिया जाएगा।
23.
उनके मुताबिक ‘‘ एक ऐसे वक्त में जब राज्य अपने पारम्पारिक कर्तव्यों से विमुख हो रहा है और कार्पोरेशन्स एवं एनजीओ सरकारी कामकाज का संचालन करने लगे है (पानी की आपूर्ति, बिजली, परिवहन, दूरसंचार, खदानें, स्वास्थ्य, शिक्षा) ; एक ऐसे वक्त में जब कार्पोरेट मिल्कियतवाली मीडिया जो लोगों के कल्पनाजगत / तसव्वुर को भी नियंत्रित करने की स्थिति में दिखती है, कोई यह सोच सकता है कि ऐसी संस्थाएं-कार्पोरेशन्स, मीडिया और एनजीओ को-लोकपाल बिल के दायरे में लिया जाएगा.