शायद कुछ टेम्पलेट में लोचा हो! फिलहाल टेम्पलेट पर काम चालू है पर कई मित्रों के आग्रह पर इसए पुन: प्रकाशित कर रहा हूँ)क्या आप भी जीमेल में कईयों की तरह मेल चैक करने आते हैं और आपके ओनलाईन होते ही मित्रों से चैट करने को मजबूर हो जाते हैं?
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शायद कुछ टेम्पलेट में लोचा हो! फिलहाल टेम्पलेट पर काम चालू है पर कई मित्रों के आग्रह पर इसए पुन: प्रकाशित कर रहा हूँ) क्या आप भी जीमेल में कईयों की तरह मेल चैक करने आते हैं और आपके ओनलाईन होते ही मित्रों से चैट करने को मजबूर हो जाते हैं?
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और फिर व्यंग्य के रस में सिक् त कुछ तिर्यक मुस्कान से हम फिर बोले …………… पता नहीं क् या मतलब है इसका ‘ काम चालू है ' माने ‘ काम चल रहा है ' या ‘ चालू किस्म का है ' और फिर अपने इस चुटकुले पर हम स्वयं ठठाकर हंस पडे़ ।
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शायद कुछ टेम्पलेट में लोचा हो! फिलहाल टेम्पलेट पर काम चालू है पर कई मित्रों के आग्रह पर इसए पुन: प्रकाशित कर रहा हूँ) क्या आप भी जीमेल में कईयों की तरह मेल चैक करने आते हैं और आपके ओनलाईन होते ही मित्रों से चैट करने को मजबूर हो जाते हैं?
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श्रीमती कल्पना रमेश नरहिरे (उस्मानाबाद): माननीय अध्यक्ष महोदय, मैं इस रेल बजट का विरोध करते हुए निवेदन करना चाहती हूँ कि मैं जिस क्षेत्र से निर्वाचित हुई हूँ, उस क्षेत्र में रेल के एक नए प्रोजेक्ट का काम चालू है-कुर्दवाड़ा-उस्मानाबाद-लातूर-लेकिन बजट में पैसा न देने की वजह से उसका काम रुक गया है।
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ऐसा होते हुए किस्से याद आते हैं इस जमीन के जिसमें लहलहाती थी फसलें, साल में चार दफे वहां उस ढूहे पर थी अमराई, बीच में कई किस्म के गाछ-नलकूप और भी बहुत कुछ जिनसे छाया की तरह चिपके थे गांव के किस्से काम चालू है हथौड़े की मार से चकनाचूर हो रही हैं स्मृतियां परत-खुल रही हैं जमीन की इसके कई रंग, कई अन्य रंगों के साथ अनगिनत प्रकृतियां बना रहे हैं सुना आपने!
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सक्रिय पूंजी में शामिल है शेष कच्चा माल, स्टोर का सामान, ईधन, अधूरा तैयार माल जिसपर काम चालू है उसे मिलाकर तथा उत्पाद औरउपोत्पाद हस्तस्य तथा बैंक में जमा नकदी तथा (क) फैक्टरी के बकाया भुगतानउदाहरणार्थ भाड़ा वेतन, ब्याज और लाभांश, (ख) माल और सेवाओं की खरीद, (ग) अल्पकालीन ऋण तथा अग्रिम रकम के रूप में अनियमित लेनदारी का, तथा माल औरसेवाओं की बिक्री के कारण फैक्टरी की देय रकम और खरीदों एवं करके भुगतानके लिए दी गई अग्रिम रकम के रूप में अनियमित देनदारों का बीजगणितीय योग.
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ऐसा होते हुए किस्से याद आते हैं इस जमीन के जिसमें लहलहाती थी फसलें, साल में चार दफे वहां उस ढूहे पर थी अमराई, बीच में कई किस्म के गाछ-नलकूप और भी बहुत कुछ जिनसे छाया की तरह चिपके थे गांव के किस्से काम चालू है हथौड़े की मार से चकनाचूर हो रही हैं स्मृतियां परत-खुल रही हैं जमीन की इसके कई रंग, कई अन्य रंगों के साथ अनगिनत प्रकृतियां बना रहे हैं सुना आपने! किसी के चीखने की आवाज आ रही है नहीं!