मणिका के चरित्र में एक विचित्र कारुणिकता थी, जिसे देखकर झल्लाहट भी होती थी, दया भी आती थी और थोड़-सा आदरभाव होता था-जिसके कारण शेखर तीन-चार बार और उसके घर गया ; प्रतिबार वह कुछ अधिक प्रभावित और बहुत अधिक खिन्न होकर आता था।
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मा पलायनम क्यों? जीवन की विभीषिकाओं से जूझने का संकल्प इसके पीछे तो है ही मगर मेरे लिए आकर्षण का शब्द है मा-यानी संस्कृत साहित्य का एक आदि शब्द जो सहसा नकारात्मकता का बोध तो देता है पर इस शब्द के महात्म्य में गहरे जाने पर इसमे छिपी कारुणिकता और जिजीविषा का भी साक्षात्कार होता है ।
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स्त्री-जीवन की कारुणिकता को मन में बसाए एक घरेलू स्त्री किन्तु जागरूक कवयित्री का परिचय देते हुए वे अतीत में सोए प्रश्नों को जगाती हैं, वे मिथकों, किंवदन्तियों में उद्धृत की जाती स्त्रियों के प्रारब्ध से टकराती हैं तथा एक सहज स्त्री-मन के साथ उन प्रश्नों को एक बार फिर अपनी ताकिर्कता के धरातल पर ले आती हैं जिनके सटीक उत्तर अभी तक प्रतीक्षित हैं।
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स्त्री-जीवन की कारुणिकता को मन में बसाए एक घरेलू स्त्री किन्तु जागरूक कवयित्री का परिचय देते हुए वे अतीत में सोए प्रश्नों को जगाती हैं, वे मिथकों, किंवदन्तियों में उद्धृत की जाती स्त्रियों के प्रारब्ध से टकराती हैं तथा एक सहज स्त्री-मन के साथ उन प्रश्नों को एक बार फिर अपनी ताकिर्कता के धरातल पर ले आती हैं जिनके सटीक उत्तर अभी तक प्रतीक्षित हैं।