कहने का मतलब यह कि हर तरफ से चिंतित आज के इंसान को अब ऐसे मुद्दे शायद किंचित भी नहीं सुहाते, जो उसकी ज़िंदगी के आर्थिक पहलुओं से ताल्लुक न रखते हों.
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वे आपके इस व्यवहार को (जिसे वे स्वयं कहते हैं कि हमें किंचित भी नहीं समझ सकते, क्योंकि आप उनसे बहुत ऊंचे और उनकी समझ से बहुत परे हैं) अनोखा और अद्भुत समझते हैं।
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वे आपके इस व्यवहार को (जिसे वे स्वयं कहते हैं की हम किंचित भी नहीं समझ सकते, क्यूंकि आप उनसे बहुत ऊँचे और उनकी समझ से बहुत परे हैं) अनोखा और अदभुत समझते हैं.
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समाचार हैं अद्भुत नर-वन के अब बर्बादी करे मुनादी संसाधन सीमित सड़ जाने दो किंतु करेगा बंदर ही वितरित नियम अनूठे हैं दुःशासन के प्रेम-रोग अब लाइलाज किंचित भी नहीं रहा नई दवा ने आगे बढ़कर सबका दर्द सहा रंग...
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ये गुण नारी की कमजोरियां किंचित भी नहीं, | बिल्कुल भी नहीं मैंने कहा है की संकट काल में जरुरत पड़ने पर ऐसा करे | यदि सभी माँ अपने दुश्चरित पुत्रो को बचाव करती रही ममता में, तो वो समाज को क्या देंगी ममता त्याग पर पुत्र को कड़ा दंड दे उसे सुधारे, कोमलता के नाम पर किसी को शोषण का शिकार ना बने क्या ये आवाह्न गलत है मुझे कही से भी नहीं लगता है | @ किसी बुरे से बुरे व्यक्ति की हिम्मत ही नहीं होती कि ऐसी भद्र नारी को अपमानित कर सके।