में सुण ' र वैड़ो आनंद ले सको? पाबूजी री पड़ भोजपुरी में बांच सको? अठै भासा रो सवाल इज सई नी है.बात किण री नै कठे री हो रई है वा जरूरी है.सब्द तो यूँ भी रमता जोगी हुआ करै.
28.
बरसां सूं चालती रैयी है, अर राजस्थान री विधान सभा 2003 में अेक प्रस्ताव सरब सम्मति सूं पारित कर नैं भेज चुकी है ओ प्रस्ताव भी सरकार किण मजबूरी रै पांण पारित करवायौ आ बात जगचावी व्है चुकी है।
29.
प्रिय वस्तु का नाश संसार से विरक्ति का उत्पादन करता है | उस वस्तु बिना जीवन के सब सुख फीखे लगते है | विशेषतः हिन्दू नारी के लिए पति से बढ़कर जीवन में कोई भी प्रिय वस्तु नहीं, और जब पति की मृत्यु हो जाति है तो नारी भी “ जीवै किण विध जेठवा ” कहने के अलावा और कह ही क्या सकती है?
30.
प्रदेश के स्कूलों में उच्च माध्यमिक स्तर पर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रमानुसार राजस्थान राज्य पाठ्यपुस्तक मण्डल द्वारा प्रकाशित राजस्थानी साहित्य गद्य पद्य संग्रह-1 कक्षा 11 व राजस्थानी साहित्य गद्य पद्य संग्रह-2 कक्षा 12, यादवेन्द्र शर्मा ‘ चंद्र ' विरचित उपन्यास ‘ हूं गोरी किण पीव री ' कक्षा 12, राजस्थानी साहित्य रो इतिहास, राजस्थानी छंद-अलंकार व राजस्थानी व्याकरण-रचना कक्षा 11 व 12 के लिए निर्धारित पाठ्यपुस्तकें हैं।