इससे भी बड़ा चिंतन का विषय यह है कि परिस्थितिजन्य या प्रयोग करने की जिज्ञासा के चलते जो किशोर अपराध की ओर चल देते हैं उन्हें यदि सही सजा या सलाह न मिले तो वो धीरे-धीरे ऐसे शातिर अपराधी बन जाते हैं जिन पर कानून और पुलिस की पकड़ बना पाना कठिन हो जाता है।
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आरोपी की उम्र का निर्धारण या उल्लेख पुलिस को उसे चार्ज़शीट करते हुए इसलिए करना होता है क्योंकि यदि अभी की निर्धारित उम्र, जो कि अठारह वर्ष है, से कम पाए जाने पर वह मुकदमा, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, 1986 के तहत जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड यानि किशोर अपराध समिति की अधिकारिता में आता है ।