पाश्वात्य-सभ्यता जहां सेक्स के पाशविक स्वरूप को ही महत्त्व देते हुए सेक्स को केवल आवेग शमन के जरिए के रूप में जानती हैं वहीं भारतीय विचारधारा की सदैव से ही यह धारणा रही है कि यौन-आचरण केवल दैहिक आवश्यकता पूर्ण करने वाली कि्रया-मात्र बनकर न रहे बल्कि व्यक्ति के व्यक्तित्व का सृजनात्मक विकास भी करें।
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पाश्वात्य-सभ्यता जहां सेक्स के पाशविक स्वरूप को ही महत्त्व देते हुए सेक्स को केवल आवेग शमन के जरिए के रूप में जानती हैं वहीं भारतीय विचारधारा की सदैव से ही यह धारणा रही है कि यौन-आचरण केवल दैहिक आवश्यकता पूर्ण करने वाली कि्रया-मात्र बनकर न रहे बल्कि व्यक्ति के व्यक्तित्व का सृजनात्मक विकास भी करें।
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16 साल की जो लड़की अपनी कमर पर बारूद बाँधकर जान दे सकती है, वह परमाणु बम लेकर तेल अवीव में क्यों नहीं घुस सकती या बेथलेहम में ही आत्मदाह क्यों नहीं कर सकती? कि्रया पर प्रतिकि्रया जरूर होती है लेकिन अंतिम कि्रया हो, यह जरूरी नहीं है | शेरों अंतिम कि्रया की तैयारी में जुटे हुए हैं |
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16 साल की जो लड़की अपनी कमर पर बारूद बाँधकर जान दे सकती है, वह परमाणु बम लेकर तेल अवीव में क्यों नहीं घुस सकती या बेथलेहम में ही आत्मदाह क्यों नहीं कर सकती? कि्रया पर प्रतिकि्रया जरूर होती है लेकिन अंतिम कि्रया हो, यह जरूरी नहीं है | शेरों अंतिम कि्रया की तैयारी में जुटे हुए हैं |
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16 साल की जो लड़की अपनी कमर पर बारूद बाँधकर जान दे सकती है, वह परमाणु बम लेकर तेल अवीव में क्यों नहीं घुस सकती या बेथलेहम में ही आत्मदाह क्यों नहीं कर सकती? कि्रया पर प्रतिकि्रया जरूर होती है लेकिन अंतिम कि्रया हो, यह जरूरी नहीं है | शेरों अंतिम कि्रया की तैयारी में जुटे हुए हैं |
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दिविक रमेश), दक्षिण कोरिया में हिंदी शिक्षण (किम ऊ जो), हिंदी उर्दू फ्लेगशिप: संभावनाओं की ओर (विष्णु शंकर), फिनलैंड में हिंदी (डॉ. अनीता गांगुली), नीदरलैंड में हिंदी की स्थिति और विकास (पुष्पिता अवस्थी) के लेखों में विश्व स्तर पर हिंदी के लिए हो रहे विकास व कि्रया कलाप की जानकारी है।
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(वृहदारण्यक उपनिषद ६ / ४ / १, २) लेकिन ऐसा भी नहीं है कि रति कि्रया केवल सन्तान प्राप्ति के जरिये के रूप में ही मान्य, क्योंकि उपनिषदों में स्पष्ट शब्दों में आया है कि यदि पति पत्नी किसी कारणवश गर्भधान नहीं करना चाहते है ता उसके लिए यौन कर्म करते समय इस मंत्र का जाप करें ' इन्द्रेयेण ते रेतसा रेत आददे (बृहदारण्यक उपनिषद्) ‘ ऐसा करने पर पत्नी गर्भवती नहीं होती है।
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गोधरा में मुसलमान पकडे़ जाएँ और अहमदाबाद में हिन्दू, इसमें कौनसी सांप्रदायिकता है लेकिन हमारा सत्ता-तंत्र् कितना विचित्र् है कि उसका एक हिस्सा बोलता है कि आपने गोधरा में फलाँ को क्यों पकड़ा और दूसरा हिस्सा बोलता है कि अहमदाबाद में हम फलाँ को क्यों पकड़ें? वह तो कि्रया पर प्रतिकि्रया कर रहा है | यह हाल है, भारत के सत्ता-तंत्र् का! यह भग्नमन भारत, यह खंडित हृदय भारत, यह उभयमुख भारत आतंकवाद का सफाया कैसे करेगा?