एगो समय रहल जब बिहार मे विकास के बात माने सुरज के दिया देखवला लेखा रहे लेकिन आज उहे बिहार मे विकास के मुद्दा हर गली हर कुचा मे बड से ले के छोट तक अमीर से ले के गरीब तक, आदमी से ले के औरत तक, शहर से ले के गांव तक सबके जबान पे आ ई काहे भईल, रउवा सब जानत बानी ।
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इसका जवाब अभी देना जल्दबाजी होगी लेकिन २ ० १ २ में होने वाले चुनाव में इसका जवाब पूरे प्रमाण के साथ मिल जायेगा! लेकिन एक बात स्पष्ट है कि अगर समय रहते धन और बल कि राजनीति पर लगाम न कसी गई तो कहीं राजनीति का बचा-कुचा अस्तित्व ही समाप्त न हो जाये! समय रहते ठोस कदम उठाने कि जरुरत है! जिससे ये लाइन सच साबित न हो! जिसके पास नोट होगा, उसी का अब तो वोट होगा जिसके पास बल होगा, उसी का अब तो कल होगा