| 21. | विषय रूप कुपथ्य पाकर ये मुनियों के हृदय में भी अंकुरित हो उठते हैं, तब बेचारे साधारण मनुष्य तो
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| 22. | आखिर मनुष्य प्रशंसा के इस कुपथ्य से कैसे बचे? प्रशंसा तो दूसरे लोग करेगे ही, उन्हे रोका नहीं जा सकता।
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| 23. | बलवान् के साथ सन्धि करके अपनी रक्षा में असावधानी करने से कुपथ्य करने के समान वह सन्धि अनर्थ हो जाती है।
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| 24. | इसका तात्पर्य यह है कि ग्रीष्म ऋतु के आने से या मौसम में गर्मी आने से बासी भोजन को कुपथ्य समझना चाहिए।
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| 25. | अगर कोई रोगी कुपथ्य जिसका परहेज हो, वह चीज मांगे, व्याकुल हो उसे पाने के लिये, तब भी वैद्य उसे वह नहीं देते।
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| 26. | विषय रूप कुपथ्य पाकर ये मुनियों के हृदय में भी अंकुरित हो उठते हैं, तब बेचारे साधारण मनुष्य तो क्या चीज हैं॥ 2 ॥
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| 27. | सच तो यह है कि यदि कुपथ्य न किया जाए तो दवाओं की आवश्यकता नहीं पड़ती तथा रोगी मात्र खान-पान एवं आहार-व्यवहार से स्वस्थ हो जाएगा ।
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| 28. | वे अब मृत्यु-आह्वान करते, ईश्वर से प्रार्थना करते कि फिर उसी जीर्णावस्था का दुरागम हो, नाना प्रकार के कुपथ्य करते, किन्तु कोई प्रयत्न सफल न होता था।
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| 29. | 17. वास्तव में प्रारब्ध से रोग बहुत कम होते हैं, ज्यादा रोग कुपथ्य से अथवा असंयम से होते हैं, कुपथ्य छोड़ दें तो रोग बहुत कम हो जायेंगे।
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| 30. | 17. वास्तव में प्रारब्ध से रोग बहुत कम होते हैं, ज्यादा रोग कुपथ्य से अथवा असंयम से होते हैं, कुपथ्य छोड़ दें तो रोग बहुत कम हो जायेंगे।
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