| 21. | जो मुझे कुप्रथाएं या अंधविश्वास लगते हैं, मैं उनका पुरज़ोर विरोध करती हूं.
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| 22. | @ आशा जोगलेकर जी दिवाली का तात्पर्य खुशियों से और बाबुल हमारी कुप्रथाएं है! सादर
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| 23. | सच तो यह है कि आज भी ये कुप्रथाएं किसी-न-किसी रूप में समाज में मौजूद हैं.
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| 24. | महिलाओं की जागरूकता के कारण ही बाल विवाह, सती प्रथा और टोनही प्रथा जैसी कुप्रथाएं दूर हो गयी है।
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| 25. | कुप्रथाएं आज भी हमारे सामने तेजी से फैलती जा रही है और इसमें समाज बौना साबित हो रहा है।
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| 26. | पहले की यह कुप्रथाएं जो आज भी विधमान है शहरों में युवाओं के लिए चलन बनता जा रह है.
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| 27. | ध्यान रहे कभी प्रथाएं नहीं टूटी बल्कि कुप्रथाएं तोड़ी गई हैंऔर इसे बदलाव नहीं क्रांति / आन्दोलन कहा गया।
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| 28. | देवदासी प्रथा, सती-प्रथा, बाल-विवाह जैसे अत्याचारी कुप्रथाएं होने के पीछे क्या तर्क देता है …
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| 29. | सम्भावना कम लगती है. ये कुप्रथाएं तभी खत्म हो सकती हैं जब इसे चलाने वाले खुद जागरूक हों.
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| 30. | शायद इसमें महिलायों कीकम और हमारे समाज कि गलती ज्यादा है, जिसमें इस तरह की कुप्रथाएं और बुराईयाँ मौजूद है।
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