नवरात्र कुलधर्म खंडित न करके नियमित करते रहने से उस देवता की पूर्ण कृपा परिवार पर बनी रहती है।
22.
फिर शुद्ध भाव से प्रार्थना करें कि ' हे नाथ! कुलधर्म को बताएँ और मुझे कृतार्थ करें ।
23.
कुल के क्षय हो जाने पर कुल के सनातन (सदियों से चल रहे) कुलधर्म भी नष्ट हो जाते हैं।
24.
इस सम्बन्ध में आश्व ० एवं बौधा ० का कहना है कि केशों का संचयन कुलधर्म के अनुरुप किया जाना चाहिए।
25.
हे जनार्दन, कुलधर्म भ्रष्ट हुये मनुष्यों को अनिश्चित समय तक नरक में वास करना पडता है, ऐसा हमने सुना है।
26.
जब कहीं भी इस विश्वधर्म से गृहधर्म, कुलधर्म, समाज धर्म या लोक धर्म टकराता है तो तुलसी विश्वधर्म का ही चयन करते हैं।
27.
पारस्करगृह्यसूत्र * के मत से उपनयन गर्भाधान या जन्म से आठवें वर्ष में होना चाहिए, किन्तु इस विषय में कुलधर्म का पालन भी करना चाहिए।
28.
गीता के प्रारम्भ मे श्री अर्जुन ने भगवान श्री कृष्ण से शंका प्रकट की हैं की जब कुल के नाश से कुलधर्म का भी नाश होता है तो “
29.
कुलधर्म (सं.) [सं-पु.] ऐसा आचरण, रीति या कर्तव्य जिसका पालन या अनुसरण किसी कुल या परिवार के सभी लोग परंपरा से करते चले आ रहे हों ; किसी कुल में अनिवार्य माने जाने वाले नियम या कानून।
30.
हे कृष्ण! पाप के अधिक बढ़ जाने से कुल की स्त्रिया अत्यंत दूषित हो जाती हैं, और हे कृष्ण स्त्रीयों के दूषित हो जाने से वर्ण संकर उत्पन्न होता है ” अध्याय १ श्लोक ४ १ ” इन वर्णसंकरकारक दोषों से कुलघातियो के सनातन कुलधर्म और जातिधर्म नष्ट हो जाते हैं ” अध्याय १ श्लोक ४ ३ भगवान् श्री कृष्ण ने स्त्रीयों को भगवत प्राप्ति का पूर्ण अधिकार के बारे में निम्नवत कहा है. ”