| 21. | परंतु कुलीना वहाँ से न उठी।
|
| 22. | कुलीना! भीतर क्यों नहीं आ जाती?”
|
| 23. | कुलीना सिर से पैर तक काँप
|
| 24. | कुलीना-क्यों कर? राजा-हरदौल के खून से।
|
| 25. | यह सोच कर कुलीना ने तलवार हरदौल को दे दी।
|
| 26. | यह सोच कर कुलीना ने तलवार
|
| 27. | कुलीना सोचने लगी, तलवार इनको दूँ या न दूँ।
|
| 28. | कुलीना-क्योंकर? राजा-हरदौल के खून से. कुलीना सिर से पैर तक काँपगयी.
|
| 29. | कुलीना, मुझे तुमसे ऐसी आशा न थी. मुझेतुम्हारे ऊपर घमण्ड था.
|
| 30. | कुलीना-निस्संदेह मुझसे अपराध हुआ है, पर एक अबला आपसे
|