बैंक पर यह सांविधिक दायित्व है कि यदि किसी व्यक्ति द्वारा धारित सभी मीयादी जमाओं पर उपचित / देय कुल ब्याज राशि आयकर अधिनियम के अधीन निर्दिष्ट राशि से अधिक होता है तो वह स्रोत पर कर की कटौती करे.
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10-15 फीसदी के बीच है, अगर उसमें 10-15 फीसदी प्रशासनिक खर्चें भी जोड़ लिए जाएं तो भी कुल ब्याज की दर 30 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती, जबकि बैंक क्रेडिट कार्ड ग्राहकों से पचास फीसदी तक ब्याज वसूलते हैं।
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के नियम के अनुसार ब्याज परिकलित किया जाता है, उसमें ऋण के जीवन काल पर कुल ब्याज की या तो साधारण या चक्रवृद्धि ब्याज के रूप में गणना की जाती है और यह उपरोक्त विधियों में से किसी एक के बराबर होता है.
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एक ऋण जिसमें 78s के नियम के अनुसार ब्याज परिकलित किया जाता है, उसमें ऋण के जीवन काल पर कुल ब्याज की या तो साधारण या चक्रवृद्धि ब्याज के रूप में गणना की जाती है और यह उपरोक्त विधियों में से किसी एक के बराबर होता है.
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फ्लैट दर ऋण और 78s का नियम: कुछ उपभोक्ता ऋणों को फ्लैट दर ऋण के रूप में संरचित किया गया है, जिसमें बकाया ऋण का निर्धारण कुल ब्याज को ऋण की अवधि भर आवंटित करने के द्वारा किया जाता है, इसमें “78s का नियम” या “सम ऑफ़ डिजिट्स” विधि के प्रयोग से किया जाता है.