भेड अपने मेमने को नहीं मारती, कुत्ता अपने पिल्ले को नहीं कूटता, भैंस अपनी बछिया की धुनाई नहीं करती, मृग अपने छोने पर छड़ी नहीं बरसाता ।
22.
यंत्र खेत जोतता है, चावल कूटता है, रसोई बनाता है, भार ढोता है, पंखा चलाता है, गीत सुनाता है, अंतरिक्ष में भ्रमण कराता है।
23.
परन्तु मैं अपनी देह को मारता कूटता, और वश में लाता हूं ; ऐसा न हो कि औरों को प्रचार करके, मैं आप ही किसी रीति से निकम्मा ठहरूं।।
24.
बणिए के छोरे का दावं कुछ इस्सा बैठया कै वो जाट आले छोरे नै नीचे पटक के और उसके उपर बैठ गया और उसने कूटता भी जावै और रोता भी जावै था.... तभी उधर सै ताउ फत्ते निकल्या...
25.
खाली हो गये, बारह साल बीतते-बीतते तो उसके सारे विचार विदा ही हो गये चावल ही कूटता रहा शांत रात सो जाता, सुबह उठ आता, चावल कूटता रहेता न कोय अड़चन न कोय उलझन.
26.
खाली हो गये, बारह साल बीतते-बीतते तो उसके सारे विचार विदा ही हो गये चावल ही कूटता रहा शांत रात सो जाता, सुबह उठ आता, चावल कूटता रहेता न कोय अड़चन न कोय उलझन.
27.
वह उस प्रतिज्ञापत्र को फाड़कर गीली नरम भूमि पर पटक देता है, और अपने बड़े-बड़े बूटों से कुचलता है, कूटता है, जब तक कि वे टुकड़े मिट्टी के नीचे दब नहीं जाते, अदृश्य नहीं हो जाते... ।
28.
डाक्टर, रात में ड्रिप बदलने की मांग करने वाले खैराती लाल भोला मरीज को छम्मकछल्लो नर्स के उकसावे पर सखासमेत कूटता है फिर मंत्री के पिल्ले को स्टेथो लगाकर कहता है पुअर पेंशेन्ट भेरी नॉटी डूइंग नौटंकी टू इम्प्रेस यू सार।
29.
हमें इससे भी एक मुक्केबाज की तरह (हवा में घूँसे चलाते हुए नहीं) लड़ना है जैसा पौलुस ने सिखाया है (1 कुरिन्थियों 9: 27)।...मैं अपनी देह को मारता कूटता और वश में लाता हूँ, ऐसा न हो कि औरों को प्रचार करके मैं आप ही किसी रीति से निकम्मा ठहरूँ।
30.
वो जो काटता है जो सिलता है वो जो कूटता है वो जो पीसता है वो जो चढ़ता है वो जो मढ़ता है वो जो ढोता है वो जो इस सब के बावजूद रोता नहीं है लेकिन काम करता है पूरी नींद सोता नहीं है लेकिन... वो कोमल फूल जैसा नही है...