यांत्रिक संवातन का सिद्धांत यह है कि यथासंभव सुरंग के बीचोबीच से किसी कूपक द्वारा जिसके मुँह पर पंखा लगा होता है, गंदी हवा निकलती रहे।
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जहाँ सुरंग के ऊपर चट्टान का परिमाण बहुत अधिक हो, जैसे किसी पहाड़ के आर-पार काटने में, तो शायद यही उचित अथवा अनिवार्य हो कि केवल दोनों सिरों में ही काम आरंभ किया जाए, और बीच में कहीं भी कूपक गलाकर वहाँ से काम न चलाया जा सके।
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जहाँ सुरंग के ऊपर चट्टान का परिमाण बहुत अधिक हो, जैसे किसी पहाड़ के आर-पार काटने में, तो शायद यही उचित अथवा अनिवार्य हो कि केवल दोनों सिरों में ही काम आरंभ किया जाए, और बीच में कहीं भी कूपक गलाकर वहाँ से काम न चलाया जा सके।
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हत्थे से जुड़ा होता है, जिसका शीर्ष किसी विशेष पेंच के ही उपयुक्त होता है | हत्था और कूपक पेंचकस को सहारा देते हैं और घुमाते समय बलाघूर्ण प्रदान करते हैं | पेंचकस विभिन्न आकारों में बनाये जाते हैं एवं इसके शीर्ष को हाथ से, विद्युत मोटर से या किसी अन्य मोटर की सहायता से घुमाया जा सकता है |