ऑंकड़ों से यह निष्कर्ष निकलता है कि कृषिवानिकी शब्द ग्रामीण महिलाएं पहली बार सुनी थी लेकिन कृषिवानिकी के घटकों से वे भलीभाँति परिचित हैं।
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7. गरीब कृषकों को रोजगार उपलब्ध करने में सहायक पापलर तथा यूकेलिप्टस आधारित कृषिवानिकी में साल, ढांक, कत्था, शीशम आदि भी यहां उगाए जाते है।
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इसलिए गाँव की साक्षर कृषक महिलाएं जिनमें नेतृत्व प्रदान करने के गुण हैं, उन्हें प्रषिक्षण दिया जाए तो वे गाँव के स्तर पर कृषिवानिकी विस्तार का कार्य कर सकती हैं।
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कृषिवानिकी विस्तार कार्यक्रम की प्रणाली में अधिकतर कार्यकर्ता पुरूङ्ढ वर्ग से हैं तथा महिलाओं की संख्या बेहद कम है जबकि कृषि उत्पादन में 60 प्रतिशत कृषि क्रियाएं महिलाओं द्वारा ही की जाती है।
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कृषिवानिकी, पशुपालन, डेरी, मत्स्यिकी, कृषि सांख्यिकी, आर्थिक तथा विपणन सहित कृषि में ऐसे आधारभूत, व्यावहारिक और परिचालनात्मक अनुसंधान और उच्च शिक्षा जिसमें ऐसे अनुसंधान तथा उच्च शिक्षा का समन्वय करना भी शामिल है।
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उपरोक्त उद्देशयों के अतिरिक्त कृषिवानिकी से सम्बन्धित समस्यायें, नीतिगत मुद्दे, प्रसार कार्यक्रम तथा ग्रामीण महिला एवं कुटीर उद्योग पर विषेश सूचना को एकत्र करना भी इस अध्ययन का एक महत्वपूर्ण भाग है।
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कृषिवानिकी के कुछ घटकों जैसे पर्यावरण सुधार, वृक्षों का दवा के रूप में प्रयोग, ईंधन, लकड़ी, चारा तथा फलों की प्राप्ति के प्रति जागरूकता 50 से 79 प्रतिशत पाई गई।
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देश के विभिन्न पर्वतीय क्षेत्रों में कृषिवानिकी पद्धति के अन्तर्गत लगाये जाने वाली वृक्ष प्रजातियॉ निम्नलिखित हैं-1. पश्चिमी हिमालय क्षेत्र ग्रीविया, केल्टस, अल्वीजिया, बांझ, कचनार, अलनस, रूबीनिया, देवदार, एलिएन्थिस।
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किसानों में वृक्षों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए फसलों के साथ-साथ तथा मेंड़ों पर फल एवं बहुपयोगी वृक्षों के उगाने की प्रथा धीरे-धीरे प्रचलित हो रही है, जिसे '' कृषिवानिकी '' कहते हैं।
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उनसे यह प्रष्न पूछा गया कि क्या आप कृषिवानिकी जानती है या किसे कहते हैं तो शत प्रतिशत उत्तर ' ' नहीं '' मिला, लेकिन जब कृषिवानिकी के बिन्दुओं को समझाया गया तो उसमें ग्रामीण्ा महिलाओं ने जागरूकता का अच्छा उत्तर दिया।