गौरतलब है कि जिला मुख्यालय सिवनी में संचालित होने वाले और स्तरीय शिक्षण प्रदान करने वाले सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल स्कूल को केंद्रीय शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने मान्यता देने से साफ इंकार कर दिया है।
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केंद्रीय शिक्षा बोर्ड से मान्यता पाने में असफल रही जिला मुख्यालय में संचालित होने वाली स्तरीय शिक्षा प्रदान करने में अग्रणी शिक्षण संस्था सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल की एक शिक्षिका पाउच वाला गुटखा खाने का शौक रखती हैं।
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गौरतलब है कि पिछले दो तीन सालों से सिवनी जिले में कुकरमुत्ते की तरह चलने वाले निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मण्डल के स्थान पर केंद्रीय शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) का प्रलोभन सरेआम दिया जा रहा है.
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अंत में सहायक सचिव खुशाल सिंह आदेशित करते हैं कि उक्त सारी कमियों के चलते शाल प्रबंधन के केंद्रीय शिक्षा बोर्ड से मान्यता के आवेदन को जिसमें शाला प्रबंधन ने 2010-2011 के लिए मान्यता चाही गई थी को निरस्त किया जाता है।
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अंत में सहायक सचिव खुशाल सिंह आदेशित करते हैं कि उक्त सारी कमियों के चलते शाल प्रबंधन के केंद्रीय शिक्षा बोर्ड से मान्यता के आवेदन को जिसमें शाला प्रबंधन ने 2010-2011 के लिए मान्यता चाही गई थी को निरस्त किया जाता है।
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एचआरडी मिनिस्ट्री द्वारा अब साफ कर दिया है कि शाला द्वारा बिल्डिंग फंड, लाईब्रेरी, कंप्यूटर लेब निर्माण आदि मद में ली जाने वाली केपीटेशन फीस अगर वसूली गई तो उस शाला की केंद्रीय शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की मान्यता ही रद्द करने की कार्यवाही हो सकती है।
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इस शाला का स्तर वैसे तो शहर में संचालित अन्य शालाओं के स्तर से अच्छा माना जाता रहा है, किन्तु कालांतर में सेंट फ्रांसिस स्कूल के शाला प्रबंधन ने उच्चतर कक्षाओं के लिए मध्य प्रदेश शिक्षा बोर्ड के स्थान पर केंद्रीय शिक्षा बोर्ड अर्थात सीबीएसई से अपने आप को संबंध कराने का उपक्रम किया.
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इस संबंध में जब जिला शिक्षा अधिकारी श्री पटले से संपर्क साधा गया तो उन्होंने मोबाईल पर चर्चा के दौरान कहा कि नई नीति के अनुसार कोई भी शाला नवमी कक्षा में तब तक प्रवेश नहीं आरंभ करवा सकती है, जब तक कि उसे मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड या केंद्रीय शिक्षा बोर्ड द्वारा मान्यता न दी जा ए.
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नकल बंद होने के फलस्वरूप विभिन्न राज्यों के अथवा केंद्रीय शिक्षा बोर्ड, विश्वविद्यालयों आदि के परीक्षा परिणामों में भारी गिरावट आने पर, शिक्षा के गिरते स्तर को लेकर विधानसभा, लोकसभा अथवा राज्यसभा में धरना, विरोध, प्रदर्शन, हंगामा जैसी अप्रिय स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं और मीडिया कवरेज के चलते, देश की साख को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बट्टा लग सकता है।
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सेंट फ्रांसिस ऑफ एसिसी स्कूल चूंकि वर्तमान में केंद्रीय शिक्षा बोर्ड के अधीन नहीं हुआ है, अतः सिद्धांततः वर्तमान में यह मध्य प्रदेश सरकार के नियंत्रण में है, फिर राज्य शासन की ओर से शिक्षा विभाग के पाबंद जिला शिक्षा अधिकारी, जिला प्रशासन के प्रभारी डिप्टी कलेक्टर आदि को इस तरह की शालाओं की अनियमितताओं की जांच करने में क्या तकलीफ है?