ख्वाब हो तुम या कोई हक़ीक़तकौन हो तुम बतलाओदेर से कितनी दूर खड़ी होऔर करीब आ जाओसुबह पे जिस तरह, शाम का हो खुमार-(2)ज़ुल्फों में एक चेहरा, कुछ ज़ाहिर कुछ निहारधड़कनों ने सुनी, एक सदा पाँव की-(2)और दिल पे लहराई, आँचल की छाँव सीमिल ही जाती हो तुम, मुझको हर मोड़ पे-(2)चल देती हो कितने, अफसाने छोड़ केफिर पुकारो मुझे, फिर मेरा नाम लो-(2)गिरता हूँ फिर अपनी, बाँहों में थाम लो।तुम रहे साथ मेरे..तुम रहे साथ मेरे, जब मैं खो गई।