जोली ने अगली बार सोशियोपथिक लिसा रोव की सहायक भूमिका में फ़िल्म गर्ल इंटरप्टेड (1999) में काम किया, जो एक मानसिक रोगी सुज़ाना केसन की कहानी सुनाती है, और जिसे केसन के मूल संस्मरण गर्ल, इंटरप्टेड से रूपांतरित किया गया था।
22.
दिल्ली में तीसरे टेस्ट केसन की दौरान, वे भारतीय सलामी बल्लेबाज़ गौतम गंभीर के साथ कई विवादों में घिरे रहे, जिन्होंने उस मैच में दोहरा शतक जमाया और अपना शतक वॉटसन की गेंद पर मिडविकेट के ऊपर से छक्का मारकर पूरा किया था.
23.
हाँ आप सच कह रहे, आज भी कुछ और क्षेत्र ऐसे है जिन्हें लोग नहीं जानते जैसे मेरा बेटा कमियुनी केसन डिजायनर है,एनिमेसन,कार्टून फिल्म बनाता है,जब मैं बताती हूँ तो लोग कहते हैं बो तो ठीक है पर पढ़ाई क्या की
24.
मेरे शब्द शब्द नहीं आदमी बन गए हैं बहुत खूब समीरजी! संस्मरण और कविता दोनों ही बहुत रोचक हैं! केशव के दोहे के चंद अल्फाज़ याद आ गये! “केशव केसन अस करी.........” ये अहीर की छोरियाँ बाबा कहि कहि जांय!”
25.
हाँ आप सच कह रहे, आज भी कुछ और क्षेत्र ऐसे है जिन्हें लोग नहीं जानते जैसे मेरा बेटा कमियुनी केसन डिजायनर है, एनिमेसन, कार्टून फिल्म बनाता है, जब मैं बताती हूँ तो लोग कहते हैं बो तो ठीक है पर पढ़ाई क्या की है
26.
पिछली 24 फरवरी को जब हम मार्ती के आह्वान पर चलाए गए पिछले स्वतंत्रता संघर्ष की यादगार में आयोजन कर रहे थे तो जेम्स केसन नामक एक व्यक्ति, जो यूनाइटेड स्टेट्स इंटेरेस्ट्स सेक्शन इन क्यूबा का प्रमुख है, अमरीकी सरकार द्वारा पोषित प्रतिक्रांतिकारियों के एक समूह से मिला।
27.
रीतिकाल के महान कवि केशवदास के सफेद बालों को देखकर कुएं से पानी भर रही युवतियों ने जब उन्हें ‘ बाबा ' कहा, तो उनके दिल में आग लग गयी और मुंह से निकल पड़ा-केशव केसन अस करि, जस अरिहु न कराय चन्द्रवदन मृगलोचिनी बाबा कहि-कहि जायं।।
28.
कारे-कारे कजरारे नैन तोरे प्यारे-प्यारे गीले-गीले लागत हैं नदिया के कूल से सौंधी-सौंधी खुसबू महकती है केसन में मानो अभी नहा के आई हो गोरी धूल से मस्तानी की दीवानी मुस्कान देख लें तो रोम-रोम खिले गुलदाऊदी के फूल से मीठी-मीठी बोली मो से बोले तो मिठाई लागे औरन से बोले तब चुभते हैं सूल से
29.
सीस पर सुहाय रहे, केसन के दल पर दल, फेसन के मारे वा में तेल नहीं डारो है मुखड़े पर पोत लियो, मन भर के पाउडर, गरदन को रंग मगर, दिखे कारो कारो है फेशन की रोगिन ने, जोगिन को रूप धरयो, पहन लियो भगवा सो कुर्तो ढीरो ढारो है २.
30.
मेरे शब्द शब्द नहीं आदमी बन गए हैं बहुत खूब समीरजी! संस्मरण और कविता दोनों ही बहुत रोचक हैं! केशव के दोहे के चंद अल्फाज़ याद आ गये! “ केशव केसन अस करी......... ” ये अहीर की छोरियाँ बाबा कहि कहि जांय! ” आपके साथ जो हुआ सो हुआ हमारा तो दिल खुश हो गया! हां हा हा!