“ लोग आप से शराब और कुमार (जुवा) के निस्बत दर्याफ़्त करते हैं, आप फरमा दीजिए कि दोनों में गुनाह की बड़ी बडी बातें भी हें और लोगों को फायदे भी हैं और गुनाह की बातें उनके फायदों से ज़्यादा बढी हुई हैं ” (सूरह अल्बक्र २ दूसरा पर आयत २ १ ९) बन्दाए हकीर मुहम्मद का रुतबा चापलूस इस्लामी कलम कारों ने इतना बढा दिया है कि कायनातों का मालिक उसको आप जनाब कह कर मुखातिब करता है.
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इससे ज़्यादा समझ नहीं आया तो नेट को और खंगाला...हिंदी में एक जगह ही ज़िक्र दिखा-“अल्लाह ताला जब किसी काम को करना चाहते हैं तो इस काम के निस्बत इतना कह देतें हैं कि कुन यानी हो जा और वह फाया कून याने हो जाता है”...(सूरह अल्बक्र २ पहला पारा आयत 117) इससे यही समझ आता है कि कुन फाया कुन दुनिया के बनने से जुड़ा है...गाने की एक पंक्ति भी है...जब कहीं पे कुछ नहीं भी नहीं था, वही था, वही था...कुन फाया कुन को और ज़्यादा अच्छी तरह अरबी के जानकार ही समझा सकते हैं...